श्री राधा महारानी चालीसा (राधाष्टमी पर विशेष)

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

भादों शुक्ला अष्टमी,राधा का अवतार।
बृषभानू घर ऊपजी, कहत है कवि विचार।।
जयजगरानी जयकल्याणी।
बृषभानू की सुता भवानी।।1
सुंदर रूपा नयन विशाला।
शोभा देत गले  की माला।।2
शीश फूल माथे पे सोहे।
मन को हरती सुंदर भोहें।।3
कर्णफूल की छवि है न्यारी।
मंद हंसी लागत है प्यारी।।4
दाड़िम जैसे दांत तुम्हारे।
श्वेता वरणा करत उजारे।।5
सुघर सलोनी राधा गोरी।
रूप मनोहर लागत भोरी।। 6
चितवन चंचल चारू चपला।
 तेरे आगे  फीके  दिवला।।7
बरसाने में निर्मित मंदर।
महल राधिका देखो अंदर।8
दो सौ सीढ़ी चढें  सवारी।
पावे दर्शन लखें पहाड़ी।।9
पुष्प चढ़ाते नर अरु नारी।।
राधे राधे जपते प्यारी।।10
देश विदेशी भक्तां आते।
महिमा राधा रानी गाते।।11
आदि शक्ती रास विलासिनी।
सकलगुणिता दिव्य सुवासिनी।।
कीरति नंदनि नवल किशोरी।
कोमल अंगिनि राधा गौरी।।13
दो तन में मन एक बिराजे। 
राधे मोहन बांसुरि बाजे।।14
जहाॅं श्याम तहं श्यामा प्यारी।
दुख हरती अरु सब सुखकारी।15
श्री राधे गो लोक बिहारी ।
नाच नचैया विपदा हारी।।16
लीलाधारी कृष्ण मुरारी।
वल्लभ निम्बक सब आचारी।।17
बंसी तोरी करे आरती।
मधुर ध्वनी से हमें तारती।।18
सांस सांस में  राधे राधे।
बात बात में  राधे  राधे।।19
अंगअंग में चमक निराली।
आभूषण पहना वनमाली।।20
डाल डाल में पात पात में।
सभी धरम अरु जात जात में।21
आते जाते बोलो राधे ।
जग महरानी श्याम अराधे।।22
तू ही भगवत तू ही गीता।
हे परमेश्वरि परम पुनीता।23
मृदुल भाषिणी सिन्धु स्वरूपा।
नित नवनीता परम अनूपा।24
कंचन वर्णी पर हितकारी।
तुमको भजते कृष्ण मुरारी।।25
तुमही लछमी तुमही शारद।
तुम ब्रह्माणी  जपते नारद।।26
रास रचाती मोहन संगा।
चंदन लेपन महकत अंगा।।27
शरद पूर्णिमा रात सुहाई
छ महिना आनंदा छाई।।28
जमना जैसी जन कल्याणी।
तुम ही जग की पालन हारी।29
कृष्ण प्रिया हो करुणा सागर।
जग हितकारी ममता आगर।।30
हे ब्रज रानी कृपा निधाना।
नंद जसोदा  देते माना।।31
आठ सखी है राधा प्यारी।
ललिता पलपल रहे निहारी।32
चंपक रंग विसाख सुदेवी।
चित्रा  इंदू  विद्या  सेवी।।33
गौवा बछुआ तुमको प्यारे।
संतन के तुम कष्ट निवारे।।34
गोवर्धन का रास रचाया।
तूने भौहन भार उठाया।।35
मंदिर तीन कृपालु बनाये।
मनगढ़ सुंदर सकल सुहाये।।36
बरसाने में कीरति माता।
प्रेमा वृन्दावन विख्याता।।37
देश विदेश बने है मंदर।
बाजे बंशी झांकी सुंदर।।38
जयजय जय राधा महरानी।
दीजे विद्या सांची वाणी।।39
जो जन यह चालीसा गावे।
पावे संपति रोग नसावे।।40
शक्ति स्वरूपा राधिका, आहिर गोपी जान।
कृष्ण संग रास रचा, कहत हैं कवि मसान ।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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