तहसील परिक्रमाः दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है

 
शि.वा.ब्यूरो, खतौली। सरकारी काम में पारदर्शिता की मंशा को तहसील प्रशासन तार-तार करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है। मुख्यालय स्तर से भी यदि किसी को ट्रांसफर ऑर्डर जारी किया जाता है तो उसकी प्रतिलिपि सम्बन्धित उच्चाधिकारियों को भेजने की परम्परा है, लेकिन तहसील प्रशासन द्वारा किये गये लेखपालों के ट्रांसफर की सूचना तहसील प्रशासन ने जिलाधिकारी सहित किसी भी सम्बन्धित उच्चाधिकारी को दी ही नहीं। इससे साबित होता है कि इतनी पर्दादारी है तो कुछ न कुछ दाल में काला है। 

इस सम्बन्ध में जब शिक्षा वाहिनी की टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि यहां दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है। सूत्रों से ज्ञात हुआ कि लेखपालों की ट्रांसफर सूची में उस दागदार लेखपाल को महत्वपूर्ण हाईवे के गांव का चार्ज भी दे दिया गया है, जिसके खिलाफ निवर्तमान जिलाधिकारी ने खुद भ्रष्टाचार की गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिये थे और तहसीलदार द्वारा उसके खिलाफ कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज करायी थी, जिसकी विवेचना जारी है। जानकारों की मानें तो उक्त लेखपाल के खिलाफ अन्य कई जांच भी चल रही हैं और कोई भी जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। जानकारों ने शिक्षा वाहिनी को बताया कि उक्त लेखपाल पर इतने गम्भीर आरोप हैं कि उसे निलम्बित करके जिला मुख्यालय ही नहीं, बल्कि मण्डल मुख्यालय से सम्बद्ध किया जाना चाहिए, ताकि अपने खिलाफ जांच को प्रभावित न कर सके। इतना ही नहीं, जब तक सभी जांच पूरी न हों और आरोपी दोषमुक्त न हो जाये तब तक उसे कोई चार्ज दिया ही नहीं जाना चाहिए। 

राजस्व विभाग के सूत्र बताते हैं कि पूरे प्रदेश में लेखपालों के ट्रांसफर की यह परम्परा प्रचलन में है कि तहसीलदार लेखपाल  व संग्रह अमीन सहित अन्य स्थानान्तरण के मामले में प्रस्ताव उपजिलाधिकारी को भेजते हैं और उनके अनुमोदन के बाद तहसीलदार द्वारा ट्रांसफर ऑर्डर जारी किये जाते हैं। इसके बाद सम्बन्धित राजस्व निरीक्षक सम्बन्धित लेखपाल को चार्ज हस्तगत कराते हैं, लेकिन प्रश्नगत मामले में किसी भी परम्परा का निर्वहन नहीं किया गया और जारी ट्रांसफर ऑर्डर में चार्ज हस्तगत करने की जिम्मेदारी तहसीलदार को दी गयी है। शिक्षा वाहिनी की पड़ताल में ज्ञात हुआ कि एक ऐसे लेखपाल को जो सेवानिवृत्ति के करीब है, उसे तहसील के ही नहीं, बल्कि जनपद की सीमा के आखिरी गांव में तैनात किया गया है, जो मानवीय दृष्टिकोण से उचित प्रतीत नहीं होता है।

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