राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक हैं डाक टिकट
शि.वा.ब्यूरो, अहामदाबाद। डाक टिकट किसी भी राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक हैं। तभी तो डाक टिकट को नन्हा राजदूत कहा जाता है। उक्त उद्गार पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने 'राष्ट्रीय डाक सप्ताह' के क्रम में अहमदाबाद जीपीओ में आयोजित फिलेटली दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। इस अवसर पर विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने फिलेटली ब्यूरो का भ्रमण करके डाक टिकटों के बारे में जानकारी ली। फिलेटली डिपाजिट एकाउंट, माई स्टैम्प, दीन दयाल स्पर्श छात्रवृत्ति योजना, ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता के बारे में विद्यार्थियों को विस्तार से बताया गया। माई स्टैम्प के तहत डाक टिकटों पर अब लोगों की फोटो भी हो सकती है।
पोस्टमास्टर जनरल ने कहा कि एक अभिनव पहल के तहत डाक विभाग विभिन्न स्कूलों में फिलेटली क्लब खोल रहा है, ताकि विद्यार्थियों में डाक टिकट संग्रह की अभिरुचि के प्रति उनकी प्रवृत्ति को विकसित किया जा सके। इससे विद्यार्थियों की शिक्षा में भी फायदा मिलेगा। इस वित्तीय वर्ष में उत्तर गुजरात परिक्षेत्र में अबतक 11 फिलेटली क्लब खोले जा चुके हैं। पोस्टमास्टर जनरल ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि फिलेटली को "किंग आफ हॉबी व हॉबी आफ किंग" के रूप में जाना जाता है, जिसमें रूचि रखने पर विविध विषयों पर डाक टिकटों का संग्रह कर सकते हैं। साथ ही कहा कि संचार के बदलते दौर में आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया को अधिक तरजीह दे रही है, पर बच्चों को फिलेटली (डाक टिकट संग्रह और उनके अध्ययन) से जरूर जुड़ना चाहिए, इससे उनका सामान्य ज्ञान भी खूब विकसित होगा।
चीफ पोस्टमास्टर गोविन्द शर्मा ने बताया कि मात्र 200 रुपये में फिलेटली डिपाजिट एकाउंट खोलकर घर बैठे डाक टिकटें प्राप्त की जा सकती हैं। इसके प्रति लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। डिप्टी चीफ पोस्टमास्टर अल्पेश शाह ने बताया कि इस अवसर पर ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने ‘लेखनकाआनंद : डिजिटलयुगमेंपत्रोंकामहत्व’विषय पर उत्साहपूर्वक पत्र लिखकर भाग लिया। इस अवसर पर जीपीओ के डिप्टी सुपरिन्टेन्डेन्ट वी.एम. वहोरा, सहायक निदेशक एमएम शेख, सहायक अधीक्षक रोनक शाह सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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