महादानव
डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 
जीवित नहीं 
मुर्दे हो तुम 
महानगर के महामानव नहीं
महादानव हो तुम।

अपने मतलब के लिए 
बनाते हो हर किसी को 
अपने ख्वाबों का परिंदा
फिर कहते हो 
अब भी मैं हुँ सब में जिंदा।

शर्म कर्म बेच कर अपनी 
दो टके के लोगों को
कहते हो सब को 
किरदार मेरा है
अब भी सबसे उम्दा।
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल
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