गौरव सिंघल, सहारनपुर। सहारनपुर मंडल उत्तर प्रदेश में चीनी के कटोरे के रूप में विख्यात है। यहां सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन होता है और सबसे ज्यादा चीनी बनती है। वजह मंडल में 19 चीनी मिलें हैं। इस बार सभी चीनी मिलें पेराई करेंगी। गन्ना उपायुक्त एवं कृषि विशेषज्ञ ओमप्रकाश सिंह ने इस संवाददाता से बातचीत में कहा कि मंडल की कई चीनी मिलों ने पेराई शुरू कर दी है। जो गन्ना किसानों के लिए बड़े लाभ की बात है। एशिया की सबसे बड़ी गन्ना पेराई करने वाली त्रिवेणी समूह की खतौली चीनी मिल (पेराई क्षमता एक लाख साठ हजार क्विंटल प्रतिदिन) 25 अक्टूबर को शुरू हो गई है और इसी समूह की दूसरी बड़ी चीनी मिल देवबंद (पेराई क्षमता एक लाख चालीस हजार प्रति क्विंटल प्रतिदिन) 4 नवंबर को शुरू हो जाएगी। देवबंद के बारे में ओपी सिंह ने कहा कि प्रदेश में यह चीनी मिल पिछले तीन वर्षों से समय पर गन्ने का भुगतान करती आ रही है और किसानों के दृष्टिकोण से यह चीनी मिल सबसे बेहतर मानी जाती है। देवबंद चीनी मिल अंतरराष्ट्रीय स्तर की चीनी का निर्माण करती है जिसका निर्यात भी हो रहा है। ओपी सिंह ने कहा कि इस बार सभी 19 चीनी मिलें अपनी पूरी क्षमता पर पेराई करेंगी। इससे चीनी के निर्माण में वृद्धि होगी और किसानों का गन्ना समय से कट जाएगा ताकि वे समय से गेहूं की बुआई कर सकेंगे जिससे गेहूं की पैदावार भी बढ़ेगी। ओपी सिंह ने कहा कि तीन नवंबर से दस नवंबर के बीच सभी चीनी 19 चीनी मिलें चल जाएंगी। पिछले पेराई सत्र में सहारनपुर की टोडरपुर और विड़वी चीनी मिल बीच में ही थम गई थी और शामली में एक दिसंबर से पेराई शुरू की थी। इस बार शामली चीनी मिल भी समय पर पेराई शुरू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक सोमांस प्रकाश की टिकोला चीनी मिल की पेराई क्षमता बढ़कर एक लाख पांच हजार क्विंटल प्रतिदिन हो गई है। मोरना चीनी मिल की पेराई क्षमता बढ़वाने के लिए सांसद चंदन चौहान प्रयासरत हैं। गन्ना उपायुक्त ओमप्रकाश सिंह ने खास बात यह बताई कि सहारनपुर में गन्ने और गेहूं की एक साथ खेती करने का अभिनव प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा है। उन्होंने बताया कि देवबंद के महेशपुर गांव के प्रगतिशील किसान मुनेंद्र राणा ने तीन हैक्टेयर जमीन में गेहूं और गन्ने की एक साथ फसल बुआई। गन्ने की पैदावार का औसत अस्सी क्विंटल प्रति बिगहा और गेहूं की पैदावार का औसत चार क्विंटल प्रति बीगहा रहा। उन्होंने सहारनपुर मंडल के किसानों से अपील की कि वे गन्ने और गेहूं की बुआई एक साथ करें। जिससे उनकी आय दोगुनी हो जाएगी।
ध्यान रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस इलाके की भूमि बहुत उपजाऊ है और यहां के किसान मुख्य रूप से गेहूं और गन्ने की खेती करते हैं। गन्ना उपायुक्त के मुताबिक इस बार का पेराई सत्र किसानों को हर लिहाज से माफिक आएगा