मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। जैसे-जैसे दशकों में पत्रकारिता का क्षेत्र कई दिशाओं में विस्तारित हुआ है, वैसे-वैसे नाटकीय प्रतिगमन का क्षेत्र भी बढ़ा है। अखबारों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और फिर सोशल मीडिया तक खबरों का चेहरा कई मायनों में बदल गया है। आज हमें मीडिया के बारे में नये सिरे से सोचना होगा। यह राय शनिवार को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के अवसर पर सिलचर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित परिचर्चा बैठक में व्यक्त की गयी। चर्चा का विषय था "इस समय में मीडिया और लोकतांत्रिक मूल्यों की दिशा।" आयोजन में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की पुरजोर मांग उठाई गई।
कवि-पत्रकार अतिन दास, असम विश्वविद्यालय के जन सूचना विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पार्थ सरकार, प्रेस क्लब के महासचिव शंकर डे, अक्सा सलाहकार रूपम नंदी पुरकायस्थ, प्रोफेसर सुब्रत देव, निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन सिलचर शाखा सचिव शतदल आचार्य, सामाजिक कार्यकर्ता जीवन ने इस पर बात की। इस अवसर पर LINE फाउंडेशन के अध्यक्ष सौमित्र दत्ताराय, सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भट्टाचार्य, लेखिका देवलेना रॉय, पत्रकार चयन भट्टाचार्य, असम विश्वविद्यालय के विभाग के शोधकर्ता स्वप्नदीप सेन, प्रेस क्लब के संयुक्त संपादक गौतम तालुकदार, पत्रकार, छायाकार विश्वजीत शील, छायाकार सुदीप सिंह आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे। अध्यक्षता प्रेस क्लब उपाध्यक्ष विकास चक्रवर्ती ने की।