शतायू बाबा का अश्रुपूरित नैत्रो से अंतिम संस्कार किया

मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। बराक में पारंपरिक श्री श्री श्यामानंद आश्रम के कर्ता बाबा नहीं रहे। वे सोमवार की रात को कभी न लौटने वाले देश चले गए। यह दुखद समाचार मिलते ही हजारों भक्तों की मौजूदगी में सुबह से ही आश्रम परिसर में श्यामानंद बाबा के पार्थिव शरीर का संन्यासी पद्धति से अंतिम संस्कार किया गया। शिलचर रामकृष्ण मिशन के सचिव गांधीशानंदजी महाराज इस दिन कर्ता बाबा के शरीर को दफनाते समय उपस्थित थे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि शिलचर श्यामानंद बाबा या संन्यासी बाबा का आश्रम अपने प्रसिद्ध मठों और मंदिरों के साथ क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध आश्रमों में से एक है। श्री श्री श्यामानंद बाबा की समाधि के बाद ये कर्ता बाबा और कुछ लोग इन्हें मौनी बाबा कहकर बुलाते थे, ये 20 साल की उम्र में इस आश्रम में आये थे और इस आश्रम की पूरी जिम्मेदारी इनके कंधों पर थी, लेकिन जिस दिन से इन्होंने प्रवेश किया आश्रम जीवन वे आश्रम के पीछे अस्सी वर्षों तक एक अँधेरे कमरे में रहे और कभी किसी से नहीं मिले, वे जीवन भर ईश्वर की खोज में लगे रहे। 

क्षेत्र के सिद्ध महापुरुष के रूप में जाने जाने वाले, भक्त किसी भी पारिवारिक और वैवाहिक समस्या के समाधान के लिए मंदिर में उनके पास जाते थे और बाद में समाधान प्राप्त करते थे। कर्ता बाबा आध्यात्मिक चेतना वाले साधु थे। दफ़न के समय उनकी उम्र लगभग 100 वर्ष थी। सैकड़ों-लाखों भक्त उन्हें बिना दीक्षा के मानते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भी यह आश्रम इसी तरह जारी रहेगा। आश्रम के एक सूत्र के अनुसार, श्री श्री श्यामानंद आश्रम के शतायु कर्ता बाबा या मौनी बाबा का नाम जीतेंद्र ब्रह्मचारी था।

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