गौरव सिंघल, सहारनपुर। जनपद में किसान गन्ने और गेहूं की खेती को ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन कृषि विभाग दलहनी फसलों को प्रोत्साहित कर रहा है। उपनिदेशक कृषि डा. राकेश कुमार ने बताया कि शरदकालीन गन्ने में मसूर की खेती की बहुत संभावनाएं हैं। इसे प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को मसूर के 1998 मिनी किट बांटे गए हैं। डा. राकेश कुमार ने बताया कि जो किसान गन्ने की शरदकालीन खेती करते हैं वे गन्ने के साथ-साथ गेहूं, सरसों, आलू और लहसुन की सहखेती भी करते हैं, जिसमें ट्रैंच विधि से बोए गए गन्ने की दो लाइनों की बीच की जमीन का इस्तेमाल किया जाता है, इससे किसानों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है।
उन्होंने बताया कि सहफसली खेती के लिए किसान को अलग से कोई लागत नहीं लगानी पड़ती। इसके लिए उसे सिर्फ ऐसी फसलों का चयन करना होता है, जिसकी स्पर्धा गन्ने की खेती से नहीं हो। उपनिदेशक कृषि डा. राकेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन के अंतर्गत कृषि विभाग किसानों को मसूर के मिनी किट वितरित कर रहा हैं। इस मिनी किट में आठ किलोग्राम मसूर का बीज है, जो एक एकड़ में बुआई के लिए काफी है। जिले के सभी 11 ब्लाकों के किसानों को मसूर का बीज वितरित किया गया है।