शि.वा.ब्यूरो,मुजफ्फरनगर। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं प्रोग्राम एक्टिविटी के अंतर्गत कला एवं संस्कृति महोत्सव विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ डायट प्राचार्य श्री संजय कुमार रस्तोगी एवं मुख्य वक्ता प्रो0अरविंद कुमार राणा, डॉ0 सविता एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ0 पंकज वशिष्ठ द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर किया गया। साथ ही प्राचार्य द्वारा अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सहायक अध्यापक अनुज कुमार गौतम द्वारा मां सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत के साथ कार्यक्रम में समा बांधा गया। प्रोफेसर अरविंद कुमार आचार्य, अंग्रेजी विभाग, श्री कुंद कुंद जैन स्नातकोत्तर महाविद्यालय खतौली) ने भारतीय कैलेंडर के अनुसार 12 माह के अनुसार होने वाले विभिन्न त्यौहार एवं पर्व पर प्रकाश डालते हुए भारत के विभिन्न राज्य उनके लोक नृत्य उनकी वेशभूषा के साथ भारतीय संस्कृति और कला के विषय में विस्तार से शिक्षकों को बताया। भारत के विभिन्न प्रमुख मंदिरों की स्थापत्य शैली उनका सांस्कृतिक महत्व पर भी विस्तार से चर्चा की। डॉ0 सविता (असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग सनातन धर्म महाविद्यालय मुजफ्फरनगर) ने बताया कि साहित्य, कला एवं संस्कृति का आपसी समन्वय क्या है ? भारत के प्राचीन काल से लेकर समकालीन समय तक क्या प्रभाव पड़ा ? और हम इसको स्कूली शिक्षा में किस तरह लागू कर बच्चों को अपने देश की कला और संस्कृति से रूबरू करा सके ।
कार्यक्रम संयोजक डॉ पंकज कुमार वशिष्ठ (प्रवक्ता, कला डायट) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बताई गई भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति संवर्धन का परिचय कराते हुए भारतीय सभ्यता और परंपराओं का वैज्ञानिक आधार आधार पर प्रकाश डाला। कि भारतीय परंपरा साइंस बेस है जैसे हाथ जोड़कर नमस्ते करना, पीपल की पूजा ,माथे पर कुमकुम लगाना ,भोजन की शुरुआत तीखे से अंत-मीठे से करना , कान छिदवाने की परंपरा ,जमीन पर बैठकर भोजन करना, सूर्य नमस्कार ,सर पर चोटी क्यों रखते हैं , व्रत का क्या महत्व है ,चरण स्पर्श क्यों करने चाहिए, सिंदूर महिलाएं क्यों लगती हैं, तुलसी की पेड़ की पूजा क्यों की जाती है ,मूर्ति पूजा क्यों की जाती है, चूड़ी क्यों पहनी जाती है, मंदिर में क्यों जाते हैं , यज्ञ हवन क्यों करते हैं आदि पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला गया इसके साथ-साथ भारतीय संस्कृति में उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश का क्या महत्व है। इस विषय पर भी पीपीटी के माध्यम से सभी शिक्षकों के समक्ष रखा गया ताकि शिक्षकों द्वारा स्कूली शिक्षा पर बच्चों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत ज्ञान दिया जा सके और भारत के पर्यटन स्लोगन के अनुसार भारत को वास्तव में "अतुल्य भारत" बनाने की नींव मजबूत की जाए।
प्राचार्य द्वारा सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए मुख्य वक्ताओं को सम्मान प्रतीक चिह्न दिया तथा सभी शिक्षकों को प्रमाण पत्र के साथ साथ भारतीय कला और संस्कृति जैसे महत्वपूर्ण विषयों को बच्चों तक पहुंचाने का संकल्प दिया गया। विनीत कुमार एसआरजी, मनोज कुमार वर्मा अभिषेक त्यागी प्रशिक्षु प्रियांशी शर्मा, आरती गुप्ता, काजल शर्मा, विदुर , योगेश, सनी , अरुण कंवर, अमित, शिवा वर्मा आदि का इस कार्यक्रम को बनाने में सफल योगदान रहा। इस अवसर पर सभी डायट प्रवक्त गण डॉ विकिन, डॉ बबीता तोमर, डॉ विकास अग्रवाल, राजीव कुमार , अंजली सिंह, विनीता, डॉ प्रीति माथुर, शिव प्रसाद, श्रीपाल आदि ए0आर0पी0,जनपद मुजफ्फरनगर एवं शामली परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों एवं डायट प्रशिक्षु उपस्थित रहे। अनुज कुमार गौतम द्वारा प्रस्तुत हिंदी गीत-- हिंद देश के निवासी सभी जन एक है, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक है .... के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।