वर्ल्ड मेडिटेशन डे पर दस मिनट ध्यान से धन्य हुए सहारनपुर वासी

गौरव सिंघल, सहारनपुर। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित विश्व ध्यान दिवस पर नेताजी सुभाष पार्क में पांच साल के बच्चों से लेकर पिचहतर साल तक के स्त्री-पुरुषों ने अंतर्राष्ट्रीय योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण के सान्निध्य में ध्यान सागर में इसी डुबकी लगाई। मात्र दस मिनट के ध्यान से लोगों के चेहरों की चमक और आंखों की शांति दर्शनीय थी। दमके चेहरे बोझिल हुई आँखें लिए अधिकांश प्रतिभागियों का कहना था कि ध्यान का दिव्य अनुभव अनूठा है, आँखें खोलने का मन ही नहीं हो रहा था, तन में अपूर्व स्फूर्ति और मन में अपूर्व शांति है। हमें खुशी है कि ध्यान दिवस के कारण हमारे जीवन का ये अमूल्य पन्ना खुला। प्रकृति की गोद में दूर तक एकांत में छिटक कर बैठे बच्चों और बड़ों के अपने अलग ही अनुभव थे। ध्यान की गहराई में ले जाने से पूर्व स्वामी भारत भूषण जी के साथ सभी साधकों ने योग का स्वरूप इस तरह गाया। "आसन से तन निर्मल कर लें। प्राणायाम से निर्मल प्राण प्रत्याहार से सभी इंद्रियां धारणा बुद्धि, जीवन ध्यान।" योग गुरु भारत भूषण ने बताया कि ध्यान योग का अति महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि वहां एक भी अंग के अभाव में हर अंग-अपंग और योग अधूरा है। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड मेडिटेशन डे घोषित हो जाने से योग, मेडिटेशन और कुंडलिनी को अलग समझने का भ्रम भी दूर होगा। कार्यक्रम संयोजक एन के शर्मा व मुकेश शर्मा के साथ योगाचार्य अनीता शर्मा ने बताया कि उन्होंने गुरुदेव स्वामी भारत भूषण जी से सीखा है कि ध्यान शरीर को स्वस्थ, मन को शांत, बुद्धि  को प्रखर और सोच को बड़ा बनाने का रास्ता है जिसका लाभ हर कोई ले सकता है जिसके लिए मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योग संस्थान ने अलग- अलग तरह के लोगों के लिए ध्यान की अनेक विधियां विकसित की हैं ! 

आज विश्व ध्यान दिवस पर हर किसी के द्वारा किए जा सकने लायक असरदार लेकिन आसान ध्यान विधि से अभ्यास कराया गया। जिससे सभी को बिखराव और तनाव से ऊपर उठकर तेजस्वी, एकाग्र और एकात्म होने का अवसर मिला। सामूहिक ध्यान के बाद आदित्य कालरा, केशव गुप्ता, कंचन तेहरी, विष्णु वर्मा, वासुदेव जाटव, पूनम वर्मा, संजना गौड़, धर्मेश शर्मा, योगेश दुआ, अवधेश, खुशबू आदि ने अपने अनुभव साझा किए और योग गुरु से ऐसा ध्यानसत्र थोड़े अंतराल पर चलते रहना चाहिए। कार्यक्रम का समापन गुरुदेव द्वारा पुष्प वर्षा और आनंद वर्षा प्रसाद के साथ हुआ।
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