गौरव सिंघल, देवबंद।गुरूद्वारा श्री गुरु नानक सभा में गुरू गोबिंद सिंह महाराज के छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह (9), बाबा फतेह सिंह(6) व माता गुजरी जी का शहीदी पर्व श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया। पिछले 8 दिनों से चल रहे शहीदी समागम का विधिवत समापन हो गया। बीती रात्रि गुरूद्वारा साहिब में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते कथावाचक भाई गुलाब सिंह (मेरठ) ने साहिबजादों का इतिहास सुनाते हुए कहा कि सरसा नदी पर हुए परिवार विछोड़े के बाद गुरू साहिब के बड़े साहिबजादों बाबा अजीत सिंह व बाबा जुझार सिंह चमकौर की जंग में मुगल फौज से लड़ते हुए शहीद हुए वहीं, छोटे साहिब जादों व माता जी को गुरू घर का रसोईया गंगू अपने साथ अपने घर ले गया। गंगू ने सोने की मोहरों की लालच में छोटे साहिबजादों व माता जी को पकड़वा दिया। उन्हें ठंडे बुर्ज में कैद किया गया। सूबा सरहिंद वजीर खां की कचहरी में छोटे साहिबजादों को इस्लाम कबूल करने या मौत की सजा पाने का प्रस्ताव रखा गया। साहिबजादे नहीं झुके तो उन्हें जिंदा दीवार में चिनकर व सिर कलम कर शहीद किया गया। ठंडे बुर्ज में कैद माता जी ने भी प्राण त्याग दिए। जालिमों ने गुरू साहिब के परिवार को दूध पिलाने वाले मोता राम मेहरा, उसकी पत्नी, मां व बच्चे को कोल्हू में पेडकर शहीद किया।
गुरू साहिब के बच्चों व माता के संस्कार के लिए दीवान टोडरमल ने अपनी सारी सम्पत्ति बेचकर सोने की खड़ी मोहरे जमीन पर बिछाकर दुनिया के इतिहास की सबसे महंगी जमीन खरीदी और उनका संस्कार किया। कथावाचक की कथा सुनकर संगत की आंखे नम हो गई। गुरूद्वारा साहिब का हॉल बोले सो निहाल सत श्री अकाल के जयकारों से गूंज उठा। लंगर की सेवा विवेक अरोड़ा के परिवार की ओर से की गई। प्रधान सेठ कुलदीप कुमार ने संगत का आभार व्यक्त किया। संचालन गुरजोत सिंह सेठी ने किया। इस दौरान श्याम लाल भारती, विरेंद्र सिंह उप्पल, चंद्रदीप सिंह, सचिन छाबड़ा, बलदीप सिंह, अजय मदान, सतीश गिरधर, सुनील रेलिया, अशोक अरोड़ा, कुलभूषण छाबड़ा, देवेंद्र पाल सिंह, हर्ष भारती, हरविंदर सिंह बेदी, चन्नी बेदी, हर्षप्रीत मनचंदा, प्रिंस कपूर आदि मौजूद रहे।