डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
भुला बिसरा बचपन याद आता है
अबोहर की गलियों में
खेला हुआ बचपन याद आता है।
नई आबादी का दुर्गा मां का
सुंदर मंदिर याद आता है।
गंगानगर रोड का पर माँ काली का
अद्भुत दरबार याद आता है।
कॉलेज रोड पर खिलखिलाता
यौवन याद आता है।
लगड़ी की टिक्की का
खटा मीठा स्वाद याद आता है।
शहर की गलियों में साथ घूमता
वफादार दोस्त याद आता है।
मुझे मेरा बचपन ही नहीं
मेरा शहर अबोहर याद आता है।
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल