मेरा मुर्शिद

डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 
मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के गम ले आओ
उन गमों को
मेरे मुर्शद की एक मुस्कुराहट से
घायल कर जाओ।
मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के दर्द भरे अश्क ले आओ
उन अश्कों को
मेरे मुर्शद की एक निगाह से
कायल कर जाओ।
मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के जख्म ले आओ
उन जख्मों को
मेरे मुर्शद के एक नाम से
भरकर  चले जाओ।
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल

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