हर्षोल्लास व यज्ञ के साथ मनाया विवेकानंद जन्मोत्सव

गौरव सिंघल, सहारनपुर। मोक्षायतन योग संस्थान परिवार ने अध्यात्मवेत्ता, तपस्वी स्वामी विवेकानंद का जन्मोत्सव यज्ञ ध्यान एवं परिचर्चा के साथ मनाया गया। विश्व योग गुरु स्वामी भारत भूषण के आचार्यत्व में यज्ञ सम्पन्न हुए। यज्ञ के यजमान सहारनपुर के वरिष्ठ चिकित्सक डा. सुदर्शन नागपाल ने सपत्नीक भागीदारी की। योग गुरु पद्मश्री भारतभूषण ने विवेकानंद जी के जीवन पर व्याख्यान देते हुए अनेक जीवनोपयोगी  संस्मरणों के माध्यम से विवेकानंद दर्शन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार स्वामी विवेकानंद जी ने दासता के काल में वैश्विक स्तर पर विषमतम परिस्थितियों का सामना करते हुए हिंदू संस्कृति का प्रचम लहराया और पाश्चात्य देशों में हिंदुत्व की उदारता और उसकी आध्यात्मिक शक्ति की जड़ें विदेशों में जमाई। समाज के साथ राष्ट्र, धर्म,संस्कृति उत्थान के लिए  उनके द्वारा किए गए कार्य सदैव जन जन को जागृत करते रहेंगे। कठोपनिषद का सूत्रवाक्य उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत उन्होंने जीवन में धारण किया जो निरंतर प्रेरक होने के कारण ही यह सूत्रवाक्य मोक्षायतन योग संस्थान के एलबम का हिस्सा है। एकात्मकता व विश्वपरिवार की परिकल्पना, चरित्रवान युवा पीढ़ी के प्रति आशावाद और उग्र राष्ट्रवाद व सकारात्मक चिंतन के साथ योग विद्या व वेदांत दर्शन आधारित जीवन शैली द्वारा श्रेष्ठ  संसार बनाने के लिए विषमताओ पर पार पाकर जीवन के परम लक्ष्य को पाने के लिए  विवेकानंद के योगदान पर योगाचार्य आलोक श्रीवास्तव, योगाचार्य अनीता शर्मा, योगाचार्य संतोष त्यागी, डा अशोक गुप्ता, योगशिक्षक सोनल चौहान व पूनम वर्मा ने अपने संबोधन में विविध विचार व्यक्त किए।

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