पत्रकार प्रोफेसर ज्योतिलाल चौधरी की तीसरी पुण्य तिथि पर कार्यक्रम आयोजित

मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था, नगर पालिकाओं या पूर्णिगमों को स्थानीय स्वशासी सरकारें कहा जाता है, लेकिन इन सभी संस्थाओं में उपेक्षा की छवि गहराई से परिलक्षित होती है इन संस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों को समन्वय के साथ अवसर प्रदान करने में कोई संतुलन नहीं है संसद हो या विधानसभा, सामाजिक कार्यकर्ता ज्योतिलाल चौधरी की तीसरी पुण्य तिथि के अवसर पर सिलचर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पंचायत और नगर निगम चुनाव में जनता और मीडिया की भूमिका.पर चर्चा की गयी।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि ऐसा कहा गया है कि पंचायत या पुर प्रतिनिधियों को बड़ी अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है क्योंकि हर बार सीट आरक्षण में फेरबदल के बाद कोई पेंशन नीति नहीं होती है। वक्ताओं ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप कभी-कभी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का घेरा बन जाता है। इसलिए इन सभी पहलुओं की गंभीरता से समीक्षा की जानी चाहिए और पूरे देश में एक पूर्णतः एक समान नीति बनाई जानी चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि इस संबंध में सिर्फ जनता को ही नहीं बल्कि पत्रकारों को भी सशक्त भूमिका निभानी होगी।

कार्यक्रम की शुरुआत में ज्योतिलाल चौधरी की स्मृति में विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उनके रंगीन और सक्रिय जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इस बार प्रमुख पत्रकार विभूतिभूषण गोस्वामी को ज्योतिलाल चौधरी मेमोरियल पत्रकारिता सम्मान देने की भी घोषणा की गई। इस अवसर पर प्रेस क्लब के महासचिव शंकर डे, राजनीतिक हस्ती सुब्रत चक्रवर्ती, अक्सा के सलाहकार रूपम नंदी पुरकायस्थ, प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष विकास चक्रवर्ती, पत्रकार प्रदीप्त पुरकायस्थ, मेघनाथ कर, कवि-पत्रकार मृदुला भट्टाचार्य आदि ने भाषण प्रस्तुत किये।

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