सुरेंद्र सिंघल/गौरव सिंघल, सहारनपुर। विश्वभर में लकड़ी के हस्तशिल्प उत्पादों की मांग बढ़ रही है, लेकिन अनेकानेक कारणों से भारत पिछड़ रहा है, जिससे इस विश्व प्रसिद्ध कारोबार के केंद्र सहारनपुर के उद्यमी और निर्यातक बेहद मायूस हैं, जबकि यहां के निर्यातकों को उम्मीद थी कि भारत विश्व में अपने ज्यादा से ज्यादा अपने उत्पादों को निर्यात कर सकें। इस संबंध में सहारनपुर के कारोबारियों, उद्यमियों और निर्यातकों से आज नए साल के पहले दिन वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सिंघल और गौरव सिंघल द्वारा बातचीत की गई तो सहारनपुर के एक बड़े निर्यातक एवं प्रमुख उद्यमी मोहम्मद असलम सैफी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दोनों इस उद्योग और कारोबार की ओर थोड़ा सा ध्यान दे दे तो आज से शुरू हो नए साल में सहारनपुर दुनिया में अपना पुराना मुकाम हासिल कर सकता है।
मोहम्मद असलम सैफी ने कहा कि अकेले सहारनपुर शहर में ही लाखों लोगों का यह व्यवसाय जीवन यापन का मुख्य जरिया है। उन्होंने कहा कि भारत के उत्पाद दुनिया में गुणवत्ता और कलात्मक नजरिए से बहुत ही पसंद किया जाता है। लेकिन भारत को सबसे बड़ी टक्कर चीन से मिल रही है। चीन की सरकार कुशल कारीगरों, उद्यमियों और निर्यातकों को बहुत प्रोत्साहन देती है। जबकि भारत में उद्यमियों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं में लगातार कटौती की जा रही है। बहुत से उद्यमियों की सरकार से यह भी शिकायत है कि सरकार से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि एवं अन्य सुविधाएं नगण्य मात्र है। उन्होंने कहा कि पहले जो सरकारी सीजनिंग प्लांट और ट्रीटमेंट प्लांट थे उनमें उद्यमियों को लकड़ी सुखाने के लिए 75 फीसद सब्सिड़ी मिलती थी जिसे बंद कर दिया गया है। इन दोनों कामों को निजी हाथों में सौंप दिया है जो अब उद्यमियों से पूरा शुल्क लेते हैं। पहले निर्यातकों को निर्यात पर दो से ढाई फीसद सब्सिड़ी मिलती थी अब इसे घटाकर आधा कर दिया गया हैं जबकि लकड़ी और कारीगरों की मजदूरी में करीब-करीब दोगुना इजाफा हो गया है यानि कि मजदूरी भी बढ़ी और लकड़ी के दामों में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।
मोहम्मद असलम सैफी ने बताया कि पिछले साल सहारनपुर का कुल सालाना निर्यात करीब 250 करोड़ रहा जबकि पूर्व के वर्षों में यह निर्यात 600 करोड़ रूपए सालाना तक रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि वे सहारनपुर के निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए बिजली के दामों में कमी करे। उन्होंने कहा कि पहले विद्युत दर पांच रूपए प्रति यूनिट थी अब सात रूपए प्रति यूनिट से भी ऊपर है। सरकारी प्रोत्साहन ना मिलने से यहां के सैकड़ों साल पुराने कारोबार की कमर टूटी है। डीजल की दरों में भी बढ़ोतरी की मार इस उद्योग पर पड़ी है।
सहारनपुर का यह उद्योग केंद्र सरकार के थोड़े से प्रोत्साहन मिलने पर भी भारत के लिए अरबों की विदेशी मुद्रा ला सकता है। इससे कारीगरों को प्रोत्साहन मिलेगा, रोजगार मिलेगा और छोटी-छोटी इकाइयां आत्मनिर्भर बन सकेंगी। कई उद्यमियों ने यह शिकायत की कि जिले के पिलखनी में कलस्टर के जरिए बनाए गए औद्योगिक स्थान में लघु इकाइयों को जगह नहीं दी गई है और जिन लोगों को वहां जगह मिली है उनसे मोटी रकम ली गई है। यह सारे कारण ऐसे हैं जो इस उद्योग को नीचे की ओर ले जा रहे हैं जबकि दुनिया में इन उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। सरकार को चाहिए कि लघु और मध्यम उद्यमियों को वह अपना पूर्ण संरक्षण प्रदान करे और उचित प्रोत्साहन देने का काम करे।