बरसों न बादल
डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। घनघोर बादल कहां हो? मानव दानव के लिए न सही पर इस धारा के लिए सही सब की प्यास बुझा दो। तप्त ऊष्मा से मुझरा रही जो प्रकृति रूपसी उसको जरा अपने सीतल स्पर्श से सहला दो। जीव जंतुओं के सुख रहे जो कंठ सूर्य की तप्त किरणों से उनको जरा अपने नभ के शीतल…