मेरा बचपन
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   भुला बिसरा बचपन याद आता है  अबोहर की गलियों में  खेला हुआ बचपन याद आता है। नई आबादी का दुर्गा मां का  सुंदर मंदिर याद आता है। गंगानगर रोड का पर माँ काली का  अद्भुत दरबार याद आता है। कॉलेज रोड पर खिलखिलाता  यौवन याद आता है। लगड़ी की टिक्की का  खटा मीठा…
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बेईमान व्यक्तित्व
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   वक्त का व्यक्तित्व है  वरना कौन जानता यहां किसी को? पद की गरिमा है  वरना कौन करता  यहां सम्मान किसी का? दिल की हसरत है  वरना कौन करता  यहां इश्क़ किसी को? दुआ होती कबूल यहां  वरना कौन करता  यहां बंदगी खुदा की? युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हि…
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समय
मेधावी महेंद्र,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। समय एक सफर है। एक बीज से वृक्ष बनने कासफर। एक सोच से यथार्थ बनने कासफर। एक बात से साथ तक का सफर। एक पल से जीवन भर का सफर। यह एक वरदान है। सपने देखने का वरदान। उन्हें पूरा कर पाने कावरदान। नई चीज़ें सीखने का वरदान। कल्पना को वास्तविकता मेंबदल पाने का वरदान…
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धन्य विवेक जी दुबे
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। धन्य विवेक जी दुबे, शाजापुर विश्वास। दीपक से जलते रहो,एक तुम्हीं से आश।।१ शिक्षक जन से राष्ट्रपति,सबका आशीर्वाद। धन धन गुरुवर आपके, नवाचार निर्बाध।।२ जिलाधीस की सीट पर, करते नये  प्रयोग। शिक्षा के हर क्षेत्र में,करें सदा सहयोग।।३ डाइट की दीवार पे, चित्र…
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भगवती वंदना
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मां भगवती सदैव आपकी शरण रहूँ  भले दुखों का प्रहार हो  भले सुखों की बाहर हो। मां भगवती सदैव आपकी चरणवन्दना करुँ  भले लोग मेरे खिलाफ़ हो भले लोग मेरे साथ हो। मां भगवती सदैव आपका चिंतन मनन करुँ  भले नर्क की यातना झेलू  भले स्वर्ग के आमोद-प्रमोद में रहूँ। म…
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वास्तविक रहस्य
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। गली-गली फिरती युवती  बन राधा  प्रेम भयो न कोई । गली-गली फिरते संत बन योगी ध्यान मग्न न कोई । गली-गली फिरते साधक बन तपस्वी  चिंतन करत न कोई । गली-गली फिरते ज्ञानी बन सुविज्ञ आत्मज्ञान करत न कोई । गली-गली फिरते अनुरागी बन कृष्ण आत्म समर्पण करत न कोई । गल…
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दीप
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। दीप जलते नहीं  जलाए जाते है। मोहब्बत की नहीं निभाई जाती है। खुशियां आती नहीं  लाई जाती है। अपने बनते नहीं  बनाए जाते है। कर्म दिखाए नहीं किए जाते है। हमसफर दिखाया नहीं  बनाया जाते है। सत्य समझाया नहीं  समझा जाता है।  श्री राम बनाए नहीं  कर्मो से बना जा…
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जगदंबा स्तुति
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। सदा प्रसन्ना मां जगदंबा मम ह्रदय तुम वास करो। लेकर खड़ग त्रिशूल हाथ में  मम शत्रुदल संहार करो। चड-मुंड के मुंड धारण कर्ता  मम संकट का भी हरण करो। तंत्र विद्या की प्रारंभा देवी  शत्रु तंत्र मंत्र यंत्र का शमन करो। चौसठ योगिनी संगी कर्ता  मम योग विद्या उत…
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अंतिम प्रणाम
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। शांति लाल तुम धन्य हो  भारत मां के पुण्य हो  यादवों में सर्व श्रेष्ठ हो  भाइयों में भी ज्येष्ठ हो  तुमने सीमा पर पहरा दिये। हम सोये चैन की नींद लिये। हे देवी पुत्र तुम धन्य हो  मां की कोख के पुण्य हो  आज मौन होकर रो रहा  हिमालय सा पिता तुम्हारा  छोटा सा…
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भौतिक सत्ता
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जिंदगी जोंक सी रक्त पान कर रही है। मौत के नगर में जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है। काले उजले दिन में देश का गणतंत्र सुखे पत्ते की तरह ठिठुर कर अस्फुट हो शिकायत कर रहा है। भौतिकता का  कंकाल महानगर की दहलीज लांघकर विक्षुब्ध कर सब को महाविनाश कर रहा है। देश क…
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हिंदी और बिंदी
मदन सुमित्रा सिंघल,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। भारत माता के मस्तक पर रक्तवर्ण सी बिंदी है कलकल करती बहती नदियाँ सबकी वाणी हिंदी है हिंदी व बिंदी की कीमत, सबके समझ नहीं आती बिन बिंदी वो रहे अधुरी पूर्ण रुप वो ना पाती बने दस गुना मुल्यवान वो जिसके पास चली जाती उसी रुप में देश विदेश में हिंदी भाषा की…
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आधुनिक घुसपैठिए
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   सदियों का संताप  अब ठहर सा गया है। घरौंदो से निकल कर  आधुनिकता की दहलीज़ पर  बह सा गया है। तराशा हुआ आदमी  महानगर की गुलामगिरी में ढह सा गया है। भौतिकता का घुसपैठिया     नगर से गांव तक  छा सा गया है। विश्वबंधुत्व मुआयने के शिखर में बंगड़ मेघ की भांति…
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श्री राधा महारानी चालीसा (राधाष्टमी पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। भादों शुक्ला अष्टमी,राधा का अवतार। बृषभानू घर ऊपजी, कहत है कवि विचार।। जयजगरानी जयकल्याणी। बृषभानू की सुता भवानी।।1 सुंदर रूपा नयन विशाला। शोभा देत गले  की माला।।2 शीश फूल माथे पे सोहे। मन को हरती सुंदर भोहें।।3 कर्णफूल की छवि है न्यारी। मंद हंसी लागत ह…
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शिक्षक चालीसा (शिक्षक दिवस 5 सितम्बर पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। राधाकृष्णन जन्म दिन,पांच सितंबर आय। शिक्षक सारे राष्ट्र का,निर्माता कहलाय।। जयजयजयजय शिक्षक भाई। सारा जग है करत  बड़ाई।।1 तुम विश्वा अरु द्रोण कहाये। सांदिपन ने कृष्ण पढ़ाये ।।2 तुम चाणक बन राष्ट्र बनाते। चन्द्रगुप्त को राज दिलाते।।3 रविन्द्रनाथ बन कला …
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ऐयाश मुर्दो
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   ऐयाश मुर्दो सा जीवन जीते हो न हंसते हो न रोते हो। मूक जीवन की सत्ता पर गुंगे बन तुम बहरों की तरह फिरते हो। बेईमानी की परत पर सदाचार की तावीज़ पहन कर खुद को खुदा घोषित करते हो। गणतंत्र की तिरछी राह पर अपनी अधूरी मूर्त लेकर जगह- जगह तुम फिसलते  हो। तट …
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आंतरिक गुलाम
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। आजाद हुए हम गौरो से  मगर अभी नही हुए औरों से। जीत चुके हैं हम औरों से  मगर हारे हुए हैं  अभी अपने विचारों से। छोटे को बड़ा ,बड़े को छोटा समझना अभी छोड़ा नहीं। जाति-पाति के कठोर नियमों से मुख भी अभी मोड नहीं। क्षितिज से आर जीवन से पार  अभी कुछ देखा नही …
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देखो मेरी शाला सुंदर
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। बड़ौद बापचा है मनभावन। दिखता सुंदर प्रभु सा पावन।।1  हरे भरे सब पौधे दिखते । मंद पवन से खुशियां भरते।।2 सुंदर बगिया मन को भावे। मैदान खेलने बालक जावे।।3 तरह-तरह के खेल खेलते। छक्का मारे गेंद झेलते ।।4 जोशी जी कक्षा में आते। छंद सवैया दोहा गाते।।5 विष्णु…
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रणचंडी
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। उठो देश की बेटी अब कब रणचंडी बनोगी। कब तक बनकर घर की लक्ष्मी ओरों पर उपकार करोगी। कब तक दुराचारों को सह कर अबला बनोगी। दया,ममता तो रखती हो मगर अपने लिए मान- सम्मान कब रखोगी। कब तक घर की चारदिवारी में रहकर सबके कटू वचन सुनोगी। घर-घर में रहते है दरिंदे क…
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मानवता कराह रही है
मदन सुमित्रा सिंघल ,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। कहीं गर्मी से तो कहीं पानी से पृकृति कहर ढा रही है अपने पङोसी देश में मानवता कराह रही है क्या कसुर इन मासुमो का ना किसी से लेना देना खाये दो समय रोटी वो भी छीनी जा रही है मानवता कराह रही है  नारी का गहना अस्मत सरे आम लूटी जा रही है जला रहे दरिंदे दुक…
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गोस्वामी तुलसीदास (तुलसी जयंती पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। सावन शुक्ला सप्तमी,संवत् चौदह जान। तुलसी हुलसी कोंख से,हिन्दी भक्ती आन।।१ बालक रामा बोलता, पिता आत्माराम। राजापुर बाँदा जिला,उत्तर का है धाम।।२ तू कहते है राम को, ल से लक्ष्मण लाल । सी मतलब मातु सिया,दास बसे हनुमान।।३ जेठ शुक्ल की त्रयोदशी,सुंदर रत्ना स…
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