भगवान परशुराम गाथा


आशुतोष, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


पृथ्वी पर  बढ़ते  पापी, रोज तांडव मचाते थे।
ऋषि मनीषियो ही तो, प्रताड़ित किए जाते थे।


पापीयो के संहार को, देवताओ ने ठानी।
अवतरित हुए श्री विष्णु, बनी परशुराम कहानी।


जमदग्नि-रेणुका पुत्र तो, घोर तपस्वी निकला।
देवताओं को प्रसन्न कर, वरदानमुखी निकला।।


ऐसा वीर नही जहाँ में, अकेलेेे संघार किया।
21 बार क्षत्रिय से, पृथ्वी  को मुक्त किया।।


अमरत्व का वरदान पाकर, युगो में यशगान।
जब - तक रहेगी  धरती, भक्त गायेंगे गान।।


सीता स्वंयवर की गाथा, लक्ष्मण से संवाद।
टूटा घनुष तो प्रकट हुए, हुआ राम से मिलाप।।


महाभारत के परमयोद्धा भी, बने उनके शिष्य।
भीष्म, कर्ण द्रोण को, दिया था विशेष दिव्य।।


माना जाता एकबार पुनः,  लेंगे कल्कि अवतार।
नाश होगा पापीयो का,  कलियुग जाएगा पार।।


                                               पटना  बिहार 


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