अजय कुमार, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
हाथ साफ़ रखकर जिसने,
छ: फ़ीट बनाई दूरी,
मुँह पर मास्क लगाकर
लॉक डाउन माना पूरी
ऐसे को कुछ डर ना आया
कोरोना कुछ कर ना पाया
इतना भी जो किया न, उस पर
मुझको रोना आया रे
जाग कोरोना आया रे
कितने दिन की बात है ये
एक अंधेरी रात है ये
ख़ुद को कर लो घर में लॉक
खा लो चना-चबेना, शाक
बीमारी जल्दी जाएगी
लौट के ना फिर आ पाएगी
काफ़ी मंथन करके मैंने
मन्त्र “स्वदेशी” पाया रे
जाग कोरोना आया रे
मन्त्र “स्वदेशी” बतलाता हूँ
आओ ! सबको समझाता हूँ।
”स्व” से समझ स्वच्छता भाई
करो निरन्तर साफ-सफ़ाई।
”द” का मतलब दूरी है,
कुछ दिन की मजबूरी है।
”इ” से इच्छा शक्ति है, जिसने
घर टिकना सिखलाया रे
जाग कोरोना आया रे
”श” से है शारीरिक शक्ति
यह प्रतिरोधक क्षमता है,
खाओ शुद्ध, पौष्टिक खाओ
हर ग़म इससे थमता है।
”ई” से रखो ईमानदारी
लॉक डाउन है समझदारी,
रख लो संयम, फिर सोचो तुम,
क्या खोया, क्या पाया रे
जाग कोरोना आया रे
जाग कोरोना आया रे
एसपी मैनपुरी
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