डॉ नीलम महेंद्र, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
ये भारत है
सीधा है सच्चा है
कुछ कर गुजरने का जज्बा है
जितना है वो काफी है,
जो है वो ही पर्याप्त है
संकट कोई भी
या वक्त कैसा भी जब सामने आए
हमारे जज्बे से न लड़ पाए
ये भारत है
जिसके लिए ह्रदय भावनाओं से
ओतप्रोत हो जाता है लेकिन
जिसकी व्याख्या के लिए
शब्दकोष के शब्द कम पड़ जाते हैं
परिभाषाएँ संकीर्ण प्रतीत होने लगती हैं लेकिन
संभावनाएं असीमित दिखने लगती हैं
ये भारत है
अनेकों उम्मीदों को जगाता
असंख्य आशा की किरणें दिखाता
ये भारत है
लेखिका वरिष्ठ स्तंभकार है
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