डॉ शम्भू पंवार, दिल्ली (चिड़ावा)। भारतीय हिंदू संस्कृति में अखंड सौभाग्य का प्रतीक वट सावित्री व्रत का पर्व बड़े उत्साह व उमंग से मनाया। सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु एवं सुख समृद्धि की कामना के लिए यह व्रत रखती है। हर वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री का व्रत किया जाता है।
शहर में आज अल सुबह सुहागिन महिलाओ ने दैनिक कार्य व स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित किया। तत्पश्चात व्रत का संकल्प लेकर, स्वच्छ वस्त्र पहन कर सोलह श्रंगार कर वट वृक्ष के नीचे बैठ कर सत्यवान सावित्री व यमराज की प्रतिमाओं की पूजा की। वट वृक्ष को जल,रोली,अक्षत, भीगे चने, गुड़ आदि अर्पित कर, देसी घी का दीपक प्रज्वलित किया। तत्पश्चात मौली व कच्चे सूत की सात परिक्रमा कर सूत को वृक्ष के बंधा।और सावित्री की कथा सुनकर गुड़ चने का प्रसाद वितरित किया।
मान्यता है कि कथा सुनने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत के फलस्वरूप सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान के प्राण यमराज से छुड़वाए थे, इसलिए धार्मिक मान्यताओं में सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत बड़ा विशेष महत्व रखता है। आज शहर में सुहागिन महिलाओ ने व्रत रखा और वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की दीर्घायु की कामना की।
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