ग्रेटर नोएडा मेट्रो को रोजाना 7 लाख रुपये का घाटा


शि.वा.ब्यूरो, नोएडा। ग्रेटर नोएडा मेट्रो में रोजाना करीब 25 हजार यात्री यात्रा करते हैं। 23 मार्च को पहला लॉकडाउन शुरू हुआ और मेट्रो को बन्द कर दिया गया था । अब तक ग्रेटर नोएडा मेट्रो चलाने वाली सरकारी एजेंसी नोएडा मेट्रो रेल कारपोरेशन को करीब 4 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। इतना ही नहीं अब जब मेट्रो की दोबारा शुरुआत होगी तो हर महीने की आमदनी घटकर आधी रह जाएगी, जो एनएमआरसी के अधिकारियों के लिए बड़ी चिंता का सबब है।

बता दें कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच  यातायात का सबसे सुगम और लग्जरी भरा जरिया एक्वा लाइन मेट्रो दो महीने से पूरी तरह से बंद है। इन दो महीने में एनएमआरसी को 4 करोड़ रुपये से भी ज्यादा राजस्व का नुकसान हो चुका है। मतलब, रोजाना करीब 7 लाख रुपये का नुकसान लॉकडाउन के चलते एनएमआरसी को उठाना पड़ रहा है। मेट्रो का संचालन नहीं होने से खर्च में कमी पर कुछ खास असर नहीं है।


सूत्रों कि माने तो नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो रूट पर एक्वा लाइन मेट्रो में हर रोज करीब 25 हजार यात्री सफर कर रहे थे। 22 मार्च से मेट्रो का संचालन बंद पड़ा है। जिसके चलते एनएमआरसी को हर महीने करीब 2 करोड़ का रेवेन्यू लॉस हुआ है। इसका भार नोएडा विकास प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण पर पड़ेगा। पहले से ही मेट्रो के संचालन में दोनों विकास प्राधिकरण को मिलकर करीब 75 करोड़ रुपये का खर्चा हर साल उठाना पड़ रहा है। 

एक अनुमान के मुताबिक मेट्रो के संचालन में करीब 100 करोड़ रुपये सालाना का खर्च हो रहा है, इसमें से करीब 75 करोड़ रुपये इन दोनों विकास प्राधिकरण को मिलकर करना पड़ रहा है। एनएमआरसी को केवल 20-25 करोड़ यात्री किराए से मिल रहे हैं। अब तब दो महीने से एक्वा लाइन पर मेट्रो बंद पड़ी है तो करीब 4 करोड़ रुपये की आमदनी नहीं हो पाई है। दूसरी ओर खर्च में कोई कमी नहीं आई है। मेट्रो स्टेशनों की मेंटिनेंस से लेकर तमाम कर्मचारी और अधिकारियों का वेतन बरकरार है। बाकी सारे खर्च हो रहे हैं। केवल बिजली की खपत नहीं है। यह थोड़ी सी कमी खर्च में आई है। 

एनएमआरसी को उम्मीद थी कि लॉकडाउन 4 की रियायतों में केंद्र सरकार मेट्रो के संचालन को भी इजाजत दे देगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। केंद्र सरकार ने मेट्रो सेवाओं को बंद रखने का आदेश जारी किया। 17 मई से लागू हुए लॉकडाउन से ठीक पहले एनएमआरसी ने मेट्रो संचालित करने के लिए तमाम तैयारियां पूरी कर ली थीं। अब एनएमआरसी को उम्मीद है कि कम से कम एक जून से सरकार मेट्रो चलाने की इजाजत दे देगी। दरअसल, सरकार ने हवाई जहाज और ट्रेन चलाने की मंजूरी दे दी है।


एनएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा मेट्रो के पास इस घाटे की भरपाई का कोई दूसरा साधन नहीं है। जब मेट्रो शुरू होगी तो पहले जितना राजस्व भी नहीं मिलेगा। दरअसल, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के नाते मेट्रो को आधी क्षमता के साथ चलाया जाएगा। मतलब, पहले अगर एक ट्रिप में 500 यात्री सवार होते थे तो अब केवल 250 यात्रियों को ही जगह दी जाएगी। साथ ही फ्रीक्वेंसी का टाइम भी बढ़ाकर मेट्रो का संचालन किया जाएगा। ऐसे में उम्मीद है कि सामान्य दिनों में जहां 25 हजार यात्री रोजाना मेट्रो में सफर करते थे, अब 10-12 हजार यात्री ही दिनभर में सफर करेंगे। इससे नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को हर महीने मिलने वाला राजस्व घटकर आधा रह जाएगा। अधिकारी ने कहा कि अभी मेट्रो हर महीने 2 करोड रुपए कमा लेती थी, जो अब एक करोड रुपए ही किराए से मिल पाएंगे। एनएमआरसी के अधिकारियों को कहना है कि भरपाई का एकमात्र जरिया नोएडा विकास प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से मिलने वाला फंड है ।

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