पटेल सतीश चन्द्र"कौशिक", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मेरा तेरा है नाता कैसा,
आज तुम्हें बतलाता हूँ।
उतरे शब्द भाव से मेरे,
तुमको वही सुनाता हूँ।
तुम वैभव में जीने वाले,
मैं त्यागी जीवन जीता हूँ।
तुम श्रंगार सदा करते,
मैं अंगारों पर चलता हूँ।
तुम स्वछंद विचरते पंक्षी हो,
मैं आदर्शों का अनुयायी हूँ।
सच सच कहता मैं तुमसे,
.मैं सत पथ का अनुगामी हूँ।
तुम एक किनारा नदिया की,
मैं बहती उसकी धारा हूँ।
तुम चंदा हो नीलगगन के,
मैं सूरज सा अंगारा हूँ।
कुछ तो बात निराली है,
. मैं साथी बनकर जीता हूँ।
मानवता की रक्षा हित मैं
आदर्शों पर जीता हूँ।
सच सच तुमसे कहता हूँ।
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