सुनिता ठाकुर, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
थोडी सी जिद्दी
थोडी नादान है।
थोडी सी भोली
थोडी शैतान है।
मेरी पूजा है तू
तू ही मेरी अजान है।
मेरी आबरू है तू
तू ही मेरी पहचान है।
रहना सबल सदा
तू मेरा स्वाभिमान है।
रहना प्रबल सदा
तू सृष्टा का गौर्वगान है।
मुस्कुराती रहे तू सदा
यही मेरा अरमान है।
मेरे आँगन की चिरइया है तू
तू ही मेरे घर की शान है।
महज़ एक बेटी नही
तू तो मेरी जान है।
मैं तो बस एक देह हूं
तू ही मेरा प्राण है।
गॉव काम्बलू, तहसील करसोग, जिला मंण्डी हिमाचल प्रदेश
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