सफलता में दूरी


कुंवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


एक व्यक्ति आते ही स्वामी जी के चरणों में गिर पडा़ और बोला-महराज! मैं अपने जीवन से बहुत दुःखी हूँ। काफी लगन से कार्य करने से भी सफल नहीं हो पाया। भगवान ने ऐसा भाग्य क्यों दिया कि मैं पढ़ा-लिखा और मेहनती होते हुए भी कामयाब नहीं हो पाया? स्वामी जी उस नौजवान की परेशानी समझ गये और उससे कहा-तुम मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ, फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दूँगा। कुत्ते को सैर कराके जब वह वापस आया तो स्वामी जी ने देखा कि उस आदमी का चेहरा चमक रहा था, जबकि  कुत्ता हाँफ रहा था और बहुत थका हुआ लग रहा था। स्वामी जी ने उससे पूँछा-ये इतना कैसे थक गया, जबकि तुम साफ-सुथरे और बिना थके कैसे लग रहे हो? उस व्यक्ति ने बताया स्वामी जी! मैं तो सीधा अपने रास्ते पर चल रहा था, लेकिन यह गली के कुत्तों के पीछे दौड़ रहा था और लड़कर फिर मेरे पास आ जाता था। हम दोनों ने एक समान रास्ता तय किया है,.लेकिन कुत्ते ने मेरे कहीं ज्यादा दौड़ लगाई है, इसलिये यह थक गया है। तब स्वामी जी ने मुस्कराकर कहा-यही तुम्हारे सभी सवालों का जवाब है। तुम अपनी मंजिल की ओर सीधे जाने की बजाय, दूसरों के पीछे भागते रहते हो। यदि तुम प्रतिद्वंदिता करना चाहते हो तो प्रतिबद्धता पूर्वक प्रयत्न कर स्वयं के सम्मुख स्वयं को रखो, जरूर सफल होंगे।


राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ 


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