शमश्री महादेव की सिद्ध रुद्र पीठों में से एक श्रीगणेश सराजपाल देवता की महिमा


राज शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू आनी उपमण्डल से महज़ 2 किलोमीटर की दूरी पर श्रीगणेश एवं सराजपाल देवता का मंदिर है। यह मंदिर शमेशा गांव में अवस्थित है। यह सिद्ध स्थान बहुत ही पुरातन काल से यहां पर है। वर्ष 1998 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। पहले यहां पर पत्थरों से बना हुआ ऐतिहासिक देवालय था। मन्दिर के भीतरी कक्ष में श्रीगणेश भगवान शिव की मूर्ति सराजपाल देवता की प्राचीन कालीन मूर्ति है। यहां बड़े महापर्वों के अवसर पर गांव से प्रसाद चढ़ाने की परंपरा रही हैं । 

विशाल वान के वृक्ष के नीचे अवस्थित है प्राचीन सराजपाल मंदिर 


कभी यहां इस स्थान की बहुत बड़ी महिमा रही है, उस समय ग्रामवासी यहां एकत्रित होकर भजन-कीर्तन पर्वकाल में करते थे। एक विशाल वान के वृक्ष के नीचे विराजमान इस मंदिर की विशेषता रही है। इस सिद्ध स्थान में पूजा अर्चना प्रतिदिन होती आ रही है। मुख्य रुप से संक्रान्ति काल में भी यहां प्रसाद चढ़ाते हैं। शमश्री महादेव के सभी स्थानों में से यह भी एक विशेष स्थान रहा है। परन्तु पर्यटन और आधुनिकता की चकाचौंध से दूर इस मंदिर की महिमा उस काल से आज तक तदवद बनी हुई है। भगवान श्री गणेश एवं सराजपाल देवता सबके कार्य निर्विघ्न पूर्वक पूर्ण करें।


संस्कृति संरक्षक, आनी (कुल्लू) हिमाचल प्रदेश

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