शिक्षक भी हैं कोरोना कर्मवीर


शालू मिश्रा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


वर्तमान में पूरे विश्व में कोरोना जैसी भयंकर महामारी ने अपने पैर पसार लिए हैं। भारतवर्ष में इस महामारी के दस्तक देते ही सरकार ने भरपूर सतर्कता बरतने हुए, अपनी गाइडलाईन जारी कर दी।एवं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम शुरू कर दिए।इस वैश्विक आपदा  से निपटने हेतु प्रशासन, पुलिस, सफाईकर्मी, चिकित्सा, विभिन्न न्यूज एजेंसियां एवं अन्य सेवा क्षेत्र के कार्मिकों को अपने दायित्वों का निर्वहन करने के आदेश दिए गए तथा इस संकट की घङी में ये सभी देश को बचाने के लिए बेहतरीन प्रयास करते अपना मूल कार्य कर रहे हैं।


जैसे इस विपदा की घङी में शिक्षक वर्ग अपने मूल पेशे के अन्तर्गत राजस्थान स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यक्रम SMILE के माध्यम से सभी बच्चों को आनलाईन शैक्षिक कार्य से जोङे हुए हैं ताकि लाॅकडाउन में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो सके।
एवं दूजी ओर देखा जाए तो साथ ही काफी तादाद में  शिक्षक अपने मूल पेशे से हटके गाँव-गाँव ढाणी-ढाणी में अन्य जिलों एवं राज्यों से आने वाले प्रवासियों के मूवमेंट की निगरानी रखकर तुरंत प्रशासन को सूचना देकर दिन-रात डटकर खुफिया एजेंसी की भांति इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं। विभागीय दिशा निर्देशानुसार क्वारेंटाइन सेंटर,आइसोलेशन वार्ड पर ड्यूटी,होम आइसोलेशन की निगरानी, घर-घर जाकर चिकित्साकर्मीयों संग सर्वे, गरीब व जरुरतमंदोे को राशन वितरण,चेक पोस्ट आदि ड्यूटी कार्यो को लाखों की संख्या में शिक्षक बखूबी निभा रहे हैं। हालांकि ऐसे कार्यो का कदापि प्रशिक्षण न होते हुए भी जान को जोखिम में डालकर स्वयं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रखते हुए निडर होकर कोरोना से मुकाबला करने में प्रयासरत हैं। कोरोना की कहर के बीच वर्तमान में सरकारी स्कूलों में इस समय ड्यूटी दे रहे शिक्षक भी  उतने ही जोखिम में है जितने अन्य स्वास्थ्य कर्मी आदि। अतः सरकार को इन्हें भी सुरक्षा किट आदि बचाव की सुविधाएं मुहैया करवाई जानी चाहिए। प्रशासन के संग शिक्षा विभाग के ब्लाॅक व जिला स्तर के सभी अधिकारी भी कङी से कङी जोङकर कोरोना की इस जंग से निपटने में जुटे हुए हैं।


वैसे देखा जाए तो एक विचारणीय प्रश्न ये भी हैं कि कुछ लोगों के द्वारा शिक्षकों  के बारे में हमेशा से ये सुना जाता है कि यह मुफ्त की तनख्वाह लेते हैं कुछ भी काम नही करते परंतु वह कभी यह नहीं सोचते न जाने इन्हें कैसे-कैसे दौर से गुजरते हुए तमाम विसंगतियों का सामना करना पङता हैं। अधिकतर लोग शिक्षकों की वास्तविक स्थिति से वाकिफ नहीं होने के बावजूद शायद किसी गलतफहमी की वजह से यह बातें करते हैं। आज इस भयावह समय में उन्हें अब समझ जाना चाहिए कि एक शिक्षक अनुभव लेते हुए अपने उतरदायित्वों को निभाता आया हैं। शिक्षक केवल विद्यालय की चार दीवारों के अंदर कार्य करने वाला उपकरण नहीं है वरन् इसका विस्तार क्षेत्र काफी हद तक है।


सभी शिक्षक साथी बङे ही  जुनून व हौसलें के साथ इस मिशन को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका अदा रहे हैं।  वर्तमान में केन्द्र व राज्य सरकार ने भी शिक्षकों के इस कार्य की अपार प्रशंसा करते हुए उन्हें "कोरोना आपदा" की इस मुहिम में कोरोना कर्मवीर बतातें हुए गौरवान्वित महसूस किया हैं।


सच में हमें शिक्षक होने पर गर्व होना चाहिए क्योंकि इस बार तो कोरोना योध्दाओं के जोशीले कार्य ने ये साबित कर दिया हैं कि कोई भी नई-पुरानी योजना, अभियान, प्राकृतिक आपदा आदि शिक्षक वर्ग के योगदान से परे नही हैं।क्योंकि ऐसे समय में भी शिक्षकों ने बहुत सी मुश्किलों का सामना करते हुए बङी ही मुस्तैदी से ये मोर्चा सम्भाल रखा हैं। कभी-कभी तो अनेकों  कार्यों में व्यस्त होने के कारण ये भूल ही जाते हैं कि हम शिक्षक हैं..........


शब्दों में बयां न होती शिक्षक की कहानी हैं,
हर पेशे से जुङी इस माँझी की जिन्दगानी हैं।


युवा साहित्यकार व अध्यापिका सराणा, जालोर


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