श्रमिक की व्यथा





अतुल रघुवंशी, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

रहा होगा सब कुछ सामान्य, 

जान मानस के लिए कभी।  

मेरा तो उद्भव ही हुआ करूँ 

जीवन निर्वाह असामान्य ही। 

कहते रूप व्यक्ति नाम समाज सत्य। 

कहलाऊं मैं श्रमिक, श्रम मेरा सत्य। 

 

है विकट समय धरा पर विष फैला है,

दिया दंड प्रकृति का मानव ने झेला है।

सिमटा सारा जन जीवन एका एक,

संकट आये मुझ निर्धन पर सहसा अनेक।

 

जब जन मानस घर के भीतर सीमित था,

मुझ पर केवल नीले अम्बर का पहरा था। 

उद्योगों की चाक चले मेरा जीवन चलता था,

तप्ती भट्टी की ज्वाला पर शिशु मेरा पलता था।

 

अब चाक चले न ज्वाला ठहरी,

उस पर महामारी की छाया गहरी।

जिस कारण अपना घर छोड़ा,

गांव अपना, वो आँगन छोड़ा।

 

एक झटके में सब नष्ट हुआ है,

मांगी जब अपनी मजदूरी।

सरदार भी अपना भ्रष्ट हुआ है,

अब रुकना एक क्षण और नहीं।

 

अब प्रश्न अनेकों मस्तिष्क में घिरे थे,

जिनमे से कुछ व्यवस्थाओं से जुड़े थे। 

इतना सब क्या सोचता, मैं श्रमिक ठहरा ,

आजीविका क्या अब तो जीवन में अंधकार गहरा।

 

घर लौटने का निश्चय अब कर लिया है,

भूखे पेट मरना, उससे चलना भला है।

समय रहते जो समेट लिया संपत्ति वही,

आन पड़ी महामारी रुपी विपत्ति नयी।

 

मीलों के सफर में अनुकूल कुछ भी न था,

अपनों का दायित्व, भार से कम नहीं था।

पैरों में छाले, दिल में चुभन लिए,

बिना सोचे समझे, हम मीलों मील चल दिए।

 

प्यास के मारे हलक सूख जाता था,

भूखे पेट भी न जाने कहाँ से बल आता था। 

तपती सड़कों पर सूनापन छाया रहता है,

देखो श्रमिक देश का मारा मारा फिरता है।

 

कैसे भूलूँ फिर रात वो काली आयी,

अपनों की, अपने साथियों की जब चीखें पड़ी सुनाई।

सड़कों पर धाराओं में लहू था बहता,

हर एक श्रमिक की पीड़ा मर्म को कहता।

 

हर एक श्रमिक की पीड़ा मर्म को कहता,

श्रमिक जो पुलिस की लाठियों को भी सहता।

आज आन पड़ा मुझ पर रोटी कपडे का संकट,

एक श्रमिक का जीवन हो चला अत्यंत विकट।

 

इन बाधाओं को कैसे पर करूँ मैं, 

भूखे तन कैसे श्रम का ताना बूनुं मैं।

इस संकट का एकाकी मैं भागीदार नहीं,

बिन मेरे संकट टल जाए संभव यह भी नहीं।

 

मेरी पीठ बिना अर्थ का कैसे भार उठाओगे,

उद्योगों को मेरे श्रम के बिना चला पाओगे।

इन प्रश्नों के उत्तर जब तक न पाओगे,

एक श्रमिक की व्यथा को न समझ पाओगे।

एक श्रमिक की व्यथा को न समझ पाओगे।।




मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश


 



 

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