राज शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
वैशाख माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान विष्णु के नवम अवतार भगवान बुद्ध को माना जाता है। इसी दिन बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। बौद्ध धर्म के सबसे बड़े धर्मवेत्ताओं में से एक भगवान बुद्ध ही है, जिन्हें बौद्ध धर्म के लोग अपना परम् आराध्य मानते हैं। बुद्ध ने समाज मे चल रहे कई कुप्रथाओं पर भी व्यापक स्तर पर प्रकाश डाला है। ये अहिंसा के मूल स्तोत्र थे। इनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था, जिन्हें बुद्ध बनने के लिए काफी संघर्षों से गुजरना पड़ा था।
बुद्ध का जन्म शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी (जो वर्तमान में है) नेपाल में हुआ। इनके पिता का नाम शुदधोधन था। इनकी माता का देहावसान इनके सात दिन की अवधि में हो गया था। इनके नामकरण के समय राजज्योतिषी ने स्पष्ट भविष्यवाणी कर थी कि ये अमरपथ का प्रवर्तक एवं एक महात्मा की भांति जगत के प्राणियों का पथ प्रदर्शक बनेगा।
बुद्ध का पहला धर्मोपदेश सारनाथ में था। यह उपदेश निजी सहायकों को दिया। उन्हें अल्प काल में ही बोधि प्राप्त हो गयी। इसी कारण उन सहायक मित्रों को ही बुद्ध ने प्रचार हेतु भेज दिया। वहीं से बुद्ध धर्म के प्रचार का सफर बुद्ध ने ही स्थापित किया और आज दुनिया के धर्मों के लोग बौद्ध धर्म के शांति परक मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं, जिन्होंने उंगलीमाल डाकू के हृदय को भी जीतकर उसे धर्म पर्थ पर चलना सिखाया।
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 7 मई बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 6 मई 2020 के सन्ध्या काल 07:44 से आरंभ होकर 7 मई 2020 शाम के 16:14 पर समाप्त होगी। भारत समेत बुद्ध पूर्णिमा जापान ,नेपाल, श्रीलंका, चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, सहित 15 से ज्यादा देशों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।
समस्त विश्व में गौतम बुद्ध को सत्य के अन्वेषण कर्ता के रुप में जाना जाता है। सत्य की खोज में घोर तप करके और तप के सामर्थ्य के बल पर समस्त मानव समाज को अहिंसा एवं जीवन प्रेरणा का संदेश दिया। बुद्ध पूर्णिमा वास्तव में बुद्ध के जन्मोत्सव की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। आगे चलजर बुद्ध ने इसी तिथि को शिरोधार्य करके बुद्धत्व प्राप्त किया।
संस्कृति संरक्षक, आनी (कुल्लू), हिमाचल प्रदेश
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