अंशु शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बच्चो के चुप होने से,
वो बात समझ जाए
बच्चो की उदासी पर,
खुद आँसु बहाए
वो हमारी माँ कहलाए...
अपनी थकान को वो ना बताए
दर्द को अपने छुपाती जाए
एक आवाज देने पर वो उठ जाए
वो हमारी माँ कहलाए...
मायके की याद को सीने मे दबाए
सबकी चिंता मे वो ना सो पाए
मायके की यादो को वो ना भूल पाए
परिवार की जिम्मेदारी के लिए,
किसी को ना बताए
वो हमारी माँ कहलाए...
बच्चो की पसंद के पकवान बनाए,
बच्चो के खुश होने पर वो मुस्कुराए
वो हमारी माँ कहलाए....
पापा की हर बात को बिन बोले समझ जाए
उनकी हर बात को मानती जाए
वो हमारी माँ कहलाए..
बच्चों के जरा सा बात कर लेने पर वो
फूली ना समाए
जरा सा देर से आने पर
दरवाजे पर इंतजार करती जाए
वो हमारी माँ कहलाए...
गलतियों पर हमेशा समझाऐ
गुस्सा आने पर डाँट भी लगाए
जब भी डाँटे ,
तब भी खुद रोने लग जाएं
जब बच्चे परेशानी बताए,
सब सही होगा कहकर,
दिल को सुकून दे जाएं
वो हमारी माँ कहलाऐ...
चैन्नई
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