बीकानेर। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के कई गांवों में एक अजीब खेल खेला जाता है। यह खेल है कुत्तों की फाइट का खूनी खेल। इस फाइट का मूल मकसद कभी मनोरंजन हुआ करता था लेकिन अब इस पर लाखों का सट्टा कारोबार चलता है। फाइट के दौरान जैसे-जैसे कुत्ते लहूलुहान होते जाते हैं सट्टा लगाने वाले और उत्साहित होते जाते हैं।
जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है वैसे-वैसे हनुमानगढ़ जिले के गाँवों व फार्म हाउसों में इस खूनी खेल की शुरुआत होने लग लग जाती है। महंगी नस्ल के कुत्तों के शौकीन लोग सीजन से काफी पहले से कुत्तों को फाइट के लिए ट्रेनिंग दिलवाना शुरु कर देते है। कड़ी ट्रेनिंग के बाद कुत्तों को फाइट के लिए तैयार किया जाता है। फाइट से पहले एक दो दिन पहले तक कुत्तों को भूखा रखा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जब कुत्तें फाइट के लिए मैदान में उतरे तो वे पूरी तरह से खूंखार बन जाए। कुत्तें भूख मिटाने के लिए एक दूसरे पर झपट पड़ते है। फाइट तब तक चलती है जब तक कुत्तें बेहोश या अधमरे न हो जाए या उनकी मौत न हो जाए। हनुमानगढ़ जिले के गांवों में यह खूनी खेल पुलिस की मिलीभगत से खेले जाते है। इस खूनी खेल के लिए पुलिस को मोटी रकम पहुंचाई जाती है, तभी तो इस फाइट्स के आयोजनों पर कोई कार्रवाई नही होती। वैसे तो भारत में डाॅग फाइट पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, लेकिन फिर भी राजस्थान के इस जिले में यह खूनी फाइट आज भी जोरो-शोरो से जारी है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में चलने वाला यह खेल केवल इस जिले तक ही सीमित नही है। इस खेल में शामिल होने के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तक से लोग आते है जो अपने-अपने कुत्तों को इस खूनी खेल में उतारते है और मोटा मुनाफा कमाते है।
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