अपनी सांसद पत्नी अनुप्रिया पटेल के राजनीति इंजीनियर हैं एमएलसी आशीष पटेल


सत्येन्द्र पीएस, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


अपना दल (एस) के नेता और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य ने कोरोनाकाल में मुझे फोन करके हाल चाल जाना। उनसे मेरी एक दो मुलाकातें ही हैं। मण्डल कमीशनः राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी पहल लिखने के बाद उन्होंने मुझे परिवर्तन साहित्यिक मंच की ओर से डा.बृजलाल वर्मा अवार्ड से सम्मानित किया था। 
काशीराम के सहयोगी रहे डा.सोनेलाल पटेल ने बसपा से अलग होकर अपना दल की स्थापना की थी। फिजिक्स से एमएससी और पीएचडी डा.पटेल ने अपना जीवन वंचित तबके के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। पार्टी बढाने के लिए वह सतत संघर्ष करते रहे और इस बीच एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। डा.सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पर उस विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी आ गई। यही से आशीष पटेल का राजनीतिक सफर शुरू होता है। पेशे से इंजीनियर आशीष ने इंजीनियरिंग का ध्यान छोड़ दिया। उनके तमाम सहपाठी इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज, इंडियन रेलवे सर्विसेज में उच्च पदों पर आसीन हुए, लेकिन आशीष पटेल अपनी पत्नी अनुप्रिया पटेल के राजनीतिक इंजीनियर बन गए।



आशीष ने अनुप्रिया को बनारस के रोहनिया विधानसभा से चुनाव लड़वाया और अनुप्रिया विधायक बनने में कामयाब रहीं। यह पहला मौका था जब सोनेलाल के दल ने  संसदीय राजनीति में छोटी सी जगह बनाई। उसके बाद अनुप्रिया त्रिस्तरीय आरक्षण को लेकर सड़कों पर उतरीं, मुकदमे झेले। 2014 में वह मिर्जापुर से सांसद बनीं और अपनी पार्टी के एक और कैंडीडेट को सांसद बनवाने में कामयाब रहीं। यूपी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मोदी सरकार को उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाना पड़ा और उसका असर यह हुआ कि 2017 के यूपी चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। उसके बाद अपना दल और भाजपा में तनातनी हुई। लोकसभा उपचुनाव में कुर्मी बहुल इलाके में भाजपा जीते हुए लोकसभा क्षेत्र बुरी तरह हारी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सर्जिकल स्ट्राइक और किसानों को सीधे खाते में रिश्वत देकर मोदी सरकार चुनावी मैदान में उतरी तो हवा का रुख देखकर अपना दल को अस्तित्व बचाए रखने के लिए एक बार फिर भाजपा से जुड़ना पड़ा और उसे 2 लोकसभा क्षेत्रों में कामयाबी मिली। राजनीति के अब तक के अपना दल के सही फैसलों में आशीष पटेल की अहम भूमिका रहती है। भाजपा के प्रचंड समर्थन के बीच एक छोटे से दल को व्यवहारिक बनाए रखने के पीछे आशीष की अहम भूमिका रही। वह देशव्यापी सक्रियता दिखाते हैं और अहमदाबाद से मुंबई तक जिस भी मंच पर अपना दल की विचारधारा के प्रसार की जरूरत और मौका होता है, वहां पार्टी को पहुंचा देते हैं।
अपना दल को केवल मंचों पर ही उन्होंने वंचितों का दल नहीं बनाया है, बल्कि उनके आसपास, आवास पर नियुक्त लोग, ऑफिस के कर्मचारी, सहयोगी अधिकतम वंचित तबके के लोग हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि पार्टी को पड़ने वाली गालियां वह अपने माथे पर ले लेते हैं और तारीफें अपनी पत्नी अनुप्रिया पटेल के हिस्से में डाल देते हैं। अगर कभी अपना दल और अनुप्रिया बहुत ज्यादा सफल होती है और उनका इतिहास लिखा जाता है तो यह जिक्र जरूर आएगा कि एक कामयाब पत्नी के पीछे एक अच्छे पति की अहम भूमिका होती है।
पीएस, नई दिल्ली


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