ऐसे थे करनाल के सांसद परम गौ भक्त, अद्वितीय व्यक्तित्व के स्वामी आचार्य रामेश्वरानंद



शि.वा.ब्यूरो, नई दिल्ली। गुरुकुल घरोंदा के परम गौ भक्त, अद्वितीय व्यक्तित्व के स्वामी एक आचार्य रामेश्वरानंद जी जनसंघ के टिकट पर करनाल से सांसद तो बन गए, लेकिन उन्होंने सरकारी आवास नहीं लिया। वे दिल्ली के बाजार सीताराम, दिल्ली-6 के आर्य समाज मंदिर में ही रहते थे। वँहा से संसद तक कार्रवाई में भाग लेने पैदल जाया करते थे। वे ऐसे पहले सांसद थे, जो हर सवाल पूछने से पहले संसद में एक वेद मंत्र बोला करते थे। वे सब वेदमंत्र संसद की कार्रवाई के रिकार्ड में देखे जा सकते हैं। उन्होंने गोहत्या पर बंदी के लिए एक बार संसद का घेराव भी किया था।


एक बार इंदिरा गांधी ने किसी मीटिंग में उन स्वामी जी को पांच सितारा होटल में बुलाया। वहां जब लंच चलने लगा तो सभी लोग बुफे काउंटर की ओर चल दिये, परन्तु स्वामी ही वहां नही गए। उन्होंने अपनी जेब से लपेटी हुई बाजरे की सूखी दो रोटी निकाली और बुफे काउंटर से दूर जमीन पर बैठकर खाने लगे। इंदिरा जी ने कहा-आप क्या करते हैं ? क्या यहां खाना नहीं मिलता? ये सभी पांच सितारा व्यवस्थाएं आप सांसदों के लिए ही तो की गई है। तो वे बोले-मैं संन्यासी हूं। सुबह भिक्षा में किसी ने यही रोटियां दी थी। मैं सरकारी धन से रोटी भला कैसे खा सकता हूं। इंदिरा का धन्यवाद देते हुए होटल में उन्होंने इंदिरा से एक गिलास पानी और आम के अचार की एक फांक ली थी, जिसका भुगतान भी उन्होंने इंदिरा के मना करने के बावजूद किया था। ऐसे अनेकों साधक हुए इस देव भूमि भारत पर, लेकिन हम नेहरू-गांधी के आगे देख नही पाए। शायद हमें पढ़ाया भी नहीं गया। भारत को तपस्वियों का देश ऐसे ही नहीं कहा जाता।

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