अजूबे


मनमोहन शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

गिरगिट सी दुनिया में

जाने कितने अजूबे

भोली सूरत की आड़ में

छिपे भयानक मंसूबे

छल कपट अंहकार में

लोग मस्त संसार में

दुर्भाव की गर्त में 

जाने क्यों है डूबे?

रंग बदलती दुनिया में

जाने कितने अजूबे

 

नेता हकीम खाकी में 

मस्त सब साक़ी में

धन, पद या बल का

छलके हरदम रोेब 

पाप अधर्म का मुख पर

न झलके जरा भी क्षोभ 

मिथ्या माया जंजाल से 

जाने अब तक क्यों न ऊबे?

रंग बदलती दुनिया में

जाने कितने अजूबे

 

बवंडर उठे जलजले आए

कोरोना हुआ भयभीत

बू बारूद की भाए जिनको

इंसान से कैसे करे प्रीत

प्रतिशोध की पूरी कर कसम

मुखौटे जल हुए भस्म 

जलने वाला भी दुबे 

जलाने वाले भी दुबे

रंग बदलती दुनिया में

जाने कितने अजूबे

 

 कुसुम्पटी शिमला-9

 

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