अपराधियों का विरोध करना होगा, तभी बनेगा स्वच्छ समाज


अशोक काकरान, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

जैसा कि सम्भावना थी, गैंगस्टर विकास दुबे का खात्मा हो गया उसके राज का खात्मा हो गया और उसके साथ ही उसके राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों से रिश्तों के राज का भी खात्मा हो गया। बहुत देर से हुआ, लेकिन सही हुआ। जिंदा रहता तो सरकार, व्यवस्था पर उंगलियों को उठने से कोई नही रोक सकता था। आतंक की जड़े ज्यादा गहरी नही होती हैं लेकिन उसको पोषण देने वाले उसे मरने भी नही देते। एक सवाल उठ रहा है कि क्या अब आगे कोई दूसरा विकास उत्पन्न नहीं होगा, विकसित नहीं होगा? ऐसे सिस्टम में जिसने एक लम्बे अर्से  से हमारे प्रजातंत्र की चूलें हिला दीं हैं।

संविधान के अनुच्छेद सिसकियां ले रहे हैं। कानून व्यवस्था को बोना साबित कर दिया गया है। दुर्दांत विकास दुबे का अंत किया गया है, उसके पापों का अंत किया गया है लेकिन अपराध का अंत कब होगा? अपराधियों के हौसले हमेशा बुलंद रहते हैं। ना मालूम किस मिट्टी के बने होते है अपराधी। अपराधियों का विकास रुकना जरूरी है और जरूरी है उनको सरंक्षण देने वालो पर लगाम। आज एक विकास मारा गया है, कल दूसरे विकास तैयार हो जायेगे। यह सिलसिला चलता रहता है। प्राथमिकता इस सिलसिले को खत्म करने की होनी चाहिये क्योंकि बुरा सिस्टम, बुरे विकास, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, और शैक्षणिक सभी के दुश्मन होते हैं।

अत: सम्पूर्ण बुरा सिस्टम ,जो एक भस्मासुर की भांति हर अच्छी चीज को खाये जा रहा है, का खात्मा करना आवश्यक है। सिर्फ ऐसे एक बुरे विकास के खात्मे से काम नहीं चलनेवाला। सरकार के साथ साथ समाज को भी इससे निपटने के लिए कमर कसनी होगी। बुरे लोगो का, अपराधी लोगो का विरोध करना होगा, उनको सरंक्षण देने वाले नेताओं, पार्टियों का विरोध करना होगा। स्वच्छ समाज और अपराधी मुक्त समाज की कल्पना तभी सार्थक हो सकती है।

 

वरिष्ठ पत्रकार, राजपुर कलां (जानसठ) मुजफ्फरनगर

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