एक सामाजिक सरोकार से जुड़ी राजनैतिक पहल


आरसी शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र


भारतवासियों को स्वराज तो मिला, लेकिन विश्वकर्मा समाज के लिए हालात गुलाम भारत जैसे ही रहे, क्योंकि यह पूर्णकालिक रुप से स्वराज ब्रिटिश सरकार द्वारा कांग्रेस की चाटुकारिता को भेंट की सौगात भर था। अंग्रेजी सरकार में गरीब मजदूर के जो हालात थे, वही हालात आज भी है। जो जो समुदाय चीख पुकारकर अपने समाज में चेतना ले आये, उन्होंने अपने समाज के लिए कुछ हासिल कर लिया, लेकिन विश्वकर्मा समाज इन पिछले सात दशकों में भी विकास के लिए कभी खड़ा नहीं हो सका। विश्वकर्मा समाज के लोग आज भी स्वराज का मतलब नही समझ पाए, क्योंकि इनका पूरा ध्यान पेट भरने लिए काम करना भर रही रहा। सदियों से दिलो-दिमाग में बसी गुलामी आज भी पीछा नहीं छोड़ पा रही है। इसके विपरीत अंग्रेजी हुकूमत की नीति फूट डालो राज करो विश्वकर्मा समाज के लोगों के अन्दर बहुत अच्छी तरह बैठ गयी है। इस अंग्रेजी नीति का प्रयोग विश्वकर्मा समाज के लोग केवल अपने स्वजनों के लिए ही करना  अपना धर्म समझ रहे हैं, जिसका परिणाम सबके सामने है। 
आज स्थिति ऐसी है कि कुछ भी हो मगर अपनो का साथ नही देंगे। जब जहां सामाजिक उत्थान के लिए कोई कोशिश करेंगा, वहां कभी एक नहीं होंगे और समाज सुधार की हर कोशिश को बेकार करेंगे। आज विश्वकर्मा समाज लुहार, बढ़ई, जांगिड़, धीमान, रामगढ़िया व सुथार आदि फिरकों में बंटा हुआ है और हर फिरके के लोग एक-दूसरे को नीचा दिखाने में ही अपनी ऊर्जा को बेकार कर रहे हैं। इसके लिए अंग्रेजों की नीति फूट डालो राज करो का खुलकर प्रयोग कर रहे हैं।
यह विश्वकर्मा समाज के बुद्धिजीवी, विचारक, चिन्तक और सचेतकों का दुर्भाग्य है कि विश्वकर्मा वंश में कोई सरदार बल्लभ भाई पटेल के पदचिन्हों वाला विश्वकर्मा सरदार नही हुआ, जो हमारे लिए घातक वर्ग-भेद की इन रियासतों को गिरा सकता और विश्वकर्मा समाज को एकजुट करके राजनैतिक भागीदारी सुनिश्चित कर पाता। अगर हमारे पास भी सरदार पटेल जैसी शख्शियत होती तो शायद आज विश्वकर्मा समाज भारत का अति पिछड़ा समाज नहीं रहता और विश्वकर्मा समाज की आर्थिक स्थिति विकास के नये आयामों को छू रही होती। केवल राजनैतिक भागीदारी का मार्ग ही विश्वकर्मा समाज को स्वाभिमान की दहलीज तक ले जा सकता है, वर्ना विश्वकर्मा समाज के लोग लुहार, बढ़ई, जांगिड़, धीमान, रामगढ़िया, सुथार, सुतार व ओझा आदि आदि से पंडित बनने बनाने के बीच उलझकर दम तोड़ते रहेंगे। 
राष्ट्रीय न्याय मंच भारत, हरियाणा परिवार फरीदाबाद


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