डाॅ दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
वंदउ जगत्गुरु कृष्ण को गीता सा उपदेश।।
गजानन्द हिरदे घरूँ, सुखी करो मम देश।।। '
नमन करूँ गुरुदेव को, कर चरणों में ध्यान।।
ज्ञान-दान को लीजिये, कहते की मसान
जय जय जय गुरु देव हमारे। हम आये हैं शरण तिहारे।1
तुमसा कौन जगत में दानी। सादा जीवन सीतल वाणी।2
गुरु बिन ज्ञान मिले ना भाई। चाहे लाखों करो उपाई।3
मंत्री-संत्री सभी गुरू से। यह परिपाटी रही षुरू से।4
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु कहाए। गुरु को शिव में हमने पाए।5
टीवी कम्प्यूटर निर्माता। गुरु हमारे भाग्य विधाता।6
गुरु ज्ञान की खानहि जानो। गुरु सम मात-पिता को मानो।7
गुरु नानक गुरु गोरख अपने। शंका मन मे करो न सपने।8
शिष को जीते शिष को मरते। धन्य सभी को वे ही करते।9
गुरु हि गोविन्द तक पहुँचाये। अंधकार को दूर भगाये।10
जिसने गुरु से लगन लगाई। नर से नारायण पद पाई।11
सद्गुरु आए. दर्शन पाएँ। कमल नैन देखत खिल जाएँ।12
मीरा ने रैदास हि पाया। रामानंद कवीर बनाया।13
नरहरि तुलसीदास खिवैया। वेद व्यास महा गुरु मैया।14
कौरव-पांडव द्रोण कहाए। एकलव्य भी शिक्षा पाए।15
चौबीस गुरु दत्तात्रय कीन्हें। रामकृष्ण नरेन्द्रहि चीन्हे। 16
चन्द्रगुप्त चाणक्य मन भाये। ग्वाला से राजा बनवाये।17
कालीदास कवि गुरु कहाई। विद्योतम से षिक्षा पाई।18
सांदिपन गुरु कृष्ण पढ़ाये। विश्वामित्रहि राम ने पाये।19
आरुणि-धोम्य कथा सुहानी। जनक अष्टावक्र बखानी।20
गुरुज्ञाकम्प्यूटर निर्माता। गुरु को शिय में हम जनक अष्टावक्र बखानी।21
पाणिनि गुरु भाषा के ज्ञाता। पांतजलि है योग विधाता।22
गुरु अरस्तू कर विषपाना। महा सिकंदर सबने जाना।23
सुकरात प्लेटो गुरु कहानी। पश्चिम मे तो खूब बखानी।।23
गुरुदेवहि जनगणमन गाया। देश भक्ति का पाठ पढ़ाया।24
पुराण अठारह भगवत आनी। व्यासदेव ने महिमा जानी।25
देव गुरू वृहस्पति बनाए। राक्षस शुक्राचार्य पढ़ाये।26
भगत धुरू की गुरु थी माता। जिसको ऊँचा किया विधाता।27
जय सद्गुरु कबीर भगवाना। तम्हरा मारग सब जग माना।28
निरगुण मारग तुमने पाया। मानवता का पाठ पढ़ाया।29
आपहि धरमदास अपनाया। सर्वाजित का अहम मिटाया।30
जाति-पाति के मेटन हारे। शबरी-मतंग राम हि प्यारे।31
मूरति ज्ञान गुरू है भाई। सारी विद्या गुरु से पाई।32
जो नर गुरू का वंदन करते। वे भवसागर पारहि तरते।33
गुरु वकील गुरु जज बन जाते। लोहा भी कंचन करवाते।34
गुरु डॉक्टर गुरु अभियंता। तुरत मिटाएँ सबकी चिंता।35
गुरु मोक्ष का मार्ग दिखाते। गुरु में हि हम गोविंद पाते।36
तुमही मारो तुम्हीं तारो। मैं तो हूँ मतिमंद विचारो।37
आओं हम सब मिलकर गाएँ। गुरूदेव का ध्यान लगाएँ।38
व्यास पूर्णिमा जब भी आये। गुरु का वंदन, भेंट चढ़ाये।39
पांच सितम्बर गुरुदिन भाई। राधाकृष्णा शीश नवाई।।40
कबीर घरमा नानका, सुन्दर दादु दयाल।
पीपा पलटू सेन रवि, मलूकदास कमाल।।
मालव भाष शिरोमणी,गाते गीत कबीर।
गुरू प्रहलाद नमन करू, धर चरणों में शीश ।।
आगर (मालवा) मध्य प्रदेश