टीवी न्यूज चैनलों ने पत्रकारिता को किया बेदम


अशोक काकरान, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

हमेशा से मैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की विश्वसनीयता और पत्रकारिता पर संदेह करता रहा हूँ। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को जिम्मेदारी से जो कुछ दिखाना चाहिए, वह आज तक नही दिखाया। ब्रेकिंग न्यूज किस चीज को लेकर बना दे, कोई नही सोच सकता। करीना कपूर का बेटा तैमूर खिलौने के लिए रोया,,,जैसी ब्रेंकिग न्यूज लाईन देने वाले मीडिया ने अब तो हद ही कर दी।

अस्पताल में भर्ती अमिताभ बच्चन की पल पल अपडेट प्राप्त कर रही मीडिया क्या जाहिर करना चाह रही है? मेरा यह विचार इंडिया टीवी की ब्रेकिंग न्यूज़ पर सार्थक सिद्ध होता नज़र आ रहा है। अमिताभ ने लैट्रिन की,,,,यह लाइन लिखकर पत्रकारिता की गरिमा गिराने के अलावा और किया ही क्या गया है? इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अमीर घरानों का शौकिया बिज़नेस है। कुछ एक चेनलो को छोड़कर बाकी सब अमीरों के चैनल है। उन अमीरों को जमीन से जुड़ी समस्याओं से कोई मतलब नहीं होता, किसानों की समस्याओं से कोई मतलब नहीं होता, उनको सिर्फ रुपयों की चमक दिखती है, उसके लिए चाहे कितना ही क्यो ना गिरना पड़े। देश मे कदम कदम पर समस्याओं का अंबार लगा हुआ है, एक नही हजारों समस्याओ से देश और जनता जूझ रही है, लेकिन वह सब नही दिखाया जाता।

वैश्विक महामारी कोरोना काल में कितनी बड़ी-बड़ी घटनाएं देश में घट रही है। हर व्यक्ति, हर वर्ग, हर समुदाय पीड़ित है। निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग और किसान इस विषम परिस्थिति में त्राहिमाम कर रहा है। लोगो को बेरोजगारी और कर्ज ने आत्महत्या करने पर मजबूर कर रखा है और इनके पास खबरों का टोटा पड़ा हुआ है। इस हेड लाइन को पढ़कर अपने पत्रकार होने पर शर्म आ रही है। मशहूर पत्रकार और दैनिक भास्कर के सम्पादक केपी मलिक साहब की पीड़ा से मैं सहमत हूं। मलिक साहब बहुत बड़े पत्रकार है, यदि टीवी न्यूज चैनलों पर वे सवाल खड़ा कर रहे हैं तो वाकई में सोचने वाली बात है।

 

वरिष्ठ पत्रकार, राजपुर कलां (जानसठ) मुजफ्फरनगर

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