नरेंद्र वर्मा एडवोकेट, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बैर कुर्मी का कभी नही राम से,
और न हि रामभक्त हनुमान से,
सिर्फ फंसे पड़े है कुछ लोगों के चक्रव्यूह में,
नही समझ रहे है अज्ञान स्वयं से,
कितने बैरी खड़े है समर में आपके बढ़ते हुए समान में
क्या कभी पहचाना है तुमने,
चंद छल पाखंडवाद को ,
क्या लेना है मंदिर में बैठे लुटेरों से,
क्या लेना है ऐसे भक्त भगवान से,
चक्रव्यूह में फंसे पड़े हैं
स्वयं के अज्ञान से ,
काला पीला स्वेत दिवस मनाकर,
शत्रुओं से क्या जीत सके ,
अज्ञानता के भरे कलश,
बिना कर्म पा न सकें,
जीत सकते हैं तो हम सब,
एक साथ रहकर लेकर सहारा ,
भारत के संविदान से ,
खुद की सिछा खुद परिवर्तन,
बदलो खुद के विचार को ,
कुर्मी क्रांति की ज्योति जलाने से ही ,
करना है स्वयं समाज सुधार को,
प्रगति के पथ पर रहो अग्रसर,
आन बान शान से ,
चक्रव्यूह में फंसे पड़े हैं,
स्वयं के अज्ञान से ,
जय शिवजी , जय सरदार ,
लेकर रहेंगे अपने सारे अधिकार,,
बाराबंकी, उत्तरप्रदेश