हे गौरी के लाल

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


हे गौरी के लाल 
हरलो दुःख विशाल 
मैं हूं बड़ा उदास 
आके मेरे हृदय में करो वास

हे विघ्न विनाशक 
दीन दुखियों के पालक 
रिद्धि सिद्धि के दाता 
लड्डुओं का भोग है भाता 

हे मेरे प्रभु गणेशा 
मेरे सिर पर हाथ रखो हमेशा 
मुझे हो न कभी अभिमान 
देना प्रभु मुझे ज्ञान 

हे गौरी के लाल 
छिपा नहीं तुमसे मेरा हाल 
मैं आजकल हूं बड़ा उदास 
अपनी कृपा का मुझे कराओ अहसास....
ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश

Post a Comment

Previous Post Next Post