श्रीराम काॅलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 चुनौतियां एवं समाधान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। सोशल एवं एजुकेशनल फोरम तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में श्रीराम काॅलेज के सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 चुनौतियां एवं समाधान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि प्रो0 एच0एस0 सिंह, सेमिनार के अध्यक्ष डाॅ0 एस0सी0 कुलश्रेष्ठ, अति विशिष्ट अतिथि राणा सहस्त्रांशु कुमार सुमन, मुख्यवक्ता प्रो0 बीरपाल सिंह, प्रो0 अजय कुमार, डाॅ0 राकेश राणा, डाॅ0 वीके शर्मा, कार्यक्रम निदेशक एवं जिला विद्यालय निरीक्षक गजेन्द्र कुमार, कार्यक्रम संयोजक डाॅ0 रणबीर सिंह, डाॅ0 प्रेरणा मित्तल तथा कार्यक्रम सह संयोजक डाॅ0 प्रवेन्द्र दहिया ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित करके किया। सेमिनार में जिले के लगभग 205 प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। 

कार्यक्रम में नई शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो0 बीरपाल ने बताया कि इस नई शिक्षा नीति को तैयार करने में लगभग ढाई लाख शिक्षाविदों का अमूल्य योगदान रहा है। माँ शाकुम्भरी विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो0 एचएस सिंह ने बताया कि शिक्षक लगभग तीन पीढियों को पढाता है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा-दिक्षा नई शिक्षा नीति के माध्यम से ही आगे बढेगी। उन्होंने कहा कि अध्ययन, ममन, भ्रमण, माता-पिता और गुरू से ही अच्छी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि  भारतीय शिक्षा को गुरूकुल कालीन शिक्षा, 10$2 शिक्षा पद्धति और अब 5$3$3$4 नई शिक्षा नीति समेत तीन खानों में बांटा जा सकता है।

हिन्दू काॅलेज विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रो0 अजय कुमार ने बताया कि नई शिक्षा नीति में आंगनबाडी के साथ-साथ बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जायेगी, जिससे बच्चे शिक्षा को एक बोझ न समझकर एक खेल समझने लगेंगे। उन्होंने बताया कि आंगनबाडी की महिलाओं को 6 माह का शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जायेगा। डाॅ0 राकेश राणा ने बताया कि समय-समय पर शिक्षा नीति पर सुधार की आवश्यकता होती हैै। उन्होंने कहा कि पहली शिक्षा नीति 1968 में बनी तथा 1981 में इस शिक्षा नीति में सुधार किये गये। उन्होंने कहा कि 1991 मेें शिक्षा नीति के साथ आर्थिक नीति एलपीजी का दौर हुआ। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा नीति विश्वस्तरीय हो, इसी को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति बनाई गयी है।

संयुक्त शिक्षा निदेशक राणा सहत्रांशु कुमार सुमन ने बताया कि प्राचीन शिक्षा में समाज का भी पूरा-पूरा योगदान होता था। उन्होंने कहा कि 1923 का संस्कृत विद्यालय भी हमारे पूर्वजों की देन है, कालान्तर में शिक्षा में परिवर्तन होते गये बच्चों की विशेष यूनिफाॅर्म भी परिवर्तन का रूप है। उन्होंने कहा कि स्कूल वेशभूषा पहनते ही बच्चे का विद्या के प्रति मस्तिष्क में परिवर्तन हो जाता है। जिला विद्यालय निरीक्षक गजेन्द्र कुमार ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों का वैदिक, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास हो, इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि डाॅ0 अम्बेडकर ने भी कहा था कि बुद्धि का विकास होना अतिआवश्यक है, जो शिक्षा के माध्यम से हो सकता है। डाॅ0 वी0के0 शर्मा ने नई शिक्षा नीति के अनुसार बी0एड0 के पाठ्यक्रम के विषय में विस्तार से बताया।


डाॅ0 कंचनप्रभा शुक्ला ने बताया कि नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य बच्चों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। उन्होंने कहा कि आधार छोटे बच्चों से शुरू होता है। उन्होंने कहा कि यदि भारत को विश्व गुरू बनाना है तो भारतीय शिक्षा को भी विश्वस्तरीय बनाना होगा और नई शिक्षा नीति इस पर खरी उतरती है। डाॅ0 रणवीर सिंह और डाॅ0 प्रवेन्द्र दहिया ने इस तरह की सेमिनार को माध्यमिक शिक्षा विभाग की अनूठी पहल बताया।

सेमिनार में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा प्रतिभाग प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के समापन पर श्रीराम ग्रुप आॅफ कालेजेज के फाउण्डर चेयरमैन डाॅ0 एससी कुलश्रेष्ठ ने सेमिनार में उपस्थित सभी विद्वानों, प्रधानाचार्यों और शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 विकास शर्मा ने किया।


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