अ कीर्ति वर्द्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
छूकर चरण तुम्हारे,
जीवन पथ पर कदम बढाऊँगा,
छोडकर राह में चिन्ह पदों के,
आगे बढता जाऊँगा।
थककर हो गये गर पैर भारी,
कुछ क्षण विश्राम कर,
फिर से आगे बढ चलूँगा,
मन्जिलों तक जाऊँगा।
खेलते कुछ लोग लंगडी,
कुछ लगाते तंगडी भी,
मानवता का पैगाम दूँगा,
इन्सानियत समझाऊँगा।
बाप की जब लात पडती,
संदेश छुपा होता वहाँ,
खामियाँ अपनी मिटाकर,
जल्द सुधर जाऊँगा।
टाँग मै अडाता नही,
प्रभु का जब काम हो,
घुंघरू बाँध निज पगों में,
नृत्य में रम जाऊँगा।
धारण करूँ निज हृदय में,
सदा प्रभु पाद को,
ऐसी कृपा हो ईश की,
फिर कर्म में रम जाऊँगा।
53, महालक्ष्मी एनक्लेव मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश