डॉ. अ कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
सुबह सूरज पूरब में दिखता है
शाम ढले पश्चिम में दिखता है।
भारत के उत्तर में हिमालय,
भारत माँ का शीश कहाता है।
दक्षिण सागर चरण पखारे,
राष्ट्र सुरक्षित बतलाता है।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
दिशाओं का बोध कराता है।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,
ब्रह्मांड की चार दिशायें।
यूँ तो होते अनेक लोक भी,
तीन लोक प्रमुख कहलायें।
आकाश धरा पाताल लोक ही,
सबसे प्रमुख लोक कहलायें।
पंच तत्व से बनी यह काया,
पंच तत्व ही प्रकृति कहलायें।
भू गगन वायु अग्नि नीर को पूजो,
पंच मिले तो भगवान बने,
वेद पुराणों ने गुणगान किया,
प्रकृति को ही भगवान कहा है।
पर्यावरण का संरक्षण हो,
सनातन ने आह्वान किया है।
पंच तत्व की काया का,
पंच तत्व में प्रयाण किया है।
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश।