गौरव सिंघल), सहारनपुर। धान की फसल में पौधे बोनें रह जाते है। यह रोग तेजी से फैल रहा है। धान की फसल में इस रोग के लक्षणों का परीक्षण वैज्ञानिकों द्वारा केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र जालंधर देहरादून तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा रोपर होसियारपुर पठानकोट, पटियाला, लुधियाना, जालंधर एवं उत्तराखण्ड के देहरादून, हरिद्वार हरियाणा के पानीपत आदि जिलों में संयुक्त रूप से परीक्षण किया गया है। परीक्षण एवं शोध के उपरान्त Southern Rice Black Streoked Dwarf Virus का प्रकोप पाया गया है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी शिप्रा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा जारी सुझाव एवं संस्तुतियों के अन्तर्गत पौधे की प्रारम्भिक अवस्था में अत्याधिक प्रकोप की संभावना होती है, प्रकोपित पौधे बौने हो जाते है। उन्होंने बताया कि प्रकोपित पौधे की पत्त्तियां गहरे हरे रंग की होती है और कल्ले मुरझाने लगते है। जडों का विकास रूक जाता है एवं धीरे-धीरे भूरे रंग में बदल जाती है, जिससे प्रभावित कल्ले खींचने पर आसानी से उखड जाते है। उन्होंने बताया कि प्रकोपित पौध के शीथ पर काली धारियां बनती है। उन्होंने बताया कि बालियों में दाने कम बनते है अथवा नहीं बनते, इसका प्रकोप एकल अथवा 4-8 पौधे के समूह में होता है। उन्होंने बताया कि इस वायरल का वाहक कीट सफेद पीठवाला फुदका होता है। उन्होंने बताया कि इस वायरल का प्रकोप धान की 12 विभिन्न प्रजातियों पीबी 1962, 1718, 1121, 1509, 1847, पीआर114, 136, 130, 131 एवं Pioneer Hybrid, Swift Gold Bayer और CSR 30 में देखा गया है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने कहा कि नर्सरी के प्रकोपित पौध को रोपित नहीं करना चाहिए। प्रकोपित पौध को उखाडकर दूर मिट्टी में गहरा दबा देना चाहिए। खेत के चारों ओर मेडों के खरपतवारों को कनकाल कर सफाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जमीन के पास सफेद पीठवाला फुदका के प्रकोप दिखाई देने वाले खेतों की साप्ताहिक रूप से गहन निगरानी करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि खेत में 03 से 20 प्रतिशत प्रकोपित पौध दिखाई देने पर उसे उखाडकर उसके स्थान पर स्वस्थ पौध का रोपड करना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रकोप से बचाव हेतु सफेद पीठ वाला फुदका के नियंत्रण हेतु बुप्रोफेजिन 25 प्रतिशत एससी, 800 एमएल अथवा एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एसपी 100 डिनोटेफयूरान 20 प्रतिशत एसजी, 150-200 ग्राम अथवा फलोनिकामिड 50 प्रतिशत डब्लूजी 150 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए।उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए किसी भी कार्य दिवस पर विकास भवन दूसरी मंजिल स्थित कार्यालय अथवा व्हाट्सएप नम्बर 9452247111 या 9452257111 पर सूचना भेजकर निदान प्राप्त कर सकते है।