शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। सनातन धर्म सभाभवन में आयोजित श्रीकृष्ण प्रणामी सेवा समिति के तत्वाधान में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के पांचवे दिन कथाव्यास युवासंत प्रमोद सुधाकर महाराज नेे नंद उत्सव, गिरीराज पूजन एवं छप्पन भोग का महोत्सव का वर्णन किया। आज की कथा में मुख्य अतिथि चेयरमैन नगरपालिका अंजू अग्रवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला, यजमान राजू पंडित, सुधीर मित्तल, नीतिन कुमार गर्ग, रामकुमार, प्रमोद शर्मा रहे।
कथावाचक ने भगवान श्रीकृष्ण के आविर्भाव का वर्णन करते हुए कहा कि अज्ञान के घोर अंधकार में दिव्य प्रकाश। परिपूर्णता भगवान श्याम सुंदर के शुभागमन के समय सभी ग्रह अपनी उग्रता, वक्रता का परित्याग करके अपने-अपने उच्च स्थानों में स्थित होकर भगवान का अभिनंदन करने में संलग्न हैं। उन्होंने कहा कि कल्याणप्रद भाद्रमास, कृष्ण पक्ष की मध्यवर्तिनी अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, आधी रात का समय देवरूपिणी देवकी के गर्भ से भगवान श्री कृष्णचन्द्र का आविर्भाव हुआ, जैसे पूर्व दिशा में पूर्ण चन्द्रमा उदित हुआ हो। उन्होंने कहा कि उसी समय वसुदेव जी को अनन्त सूर्य-चन्द्रमा के समान प्रकाश दिखाई दिया और उसी प्रकाश में दिखाई दिया।उन्होंने कहा कि एक अद्भुत असाधारण बालक जिसके बाल-बाल में, रोम-रोम में ब्रह्मांड रहते हैं, चार भुजा वे चतुर्भुज रूप में चारों पुरुषार्थ अपने हाथ में लेकर जीवों को बांटने के लिए आते हैं। चार आयुध शंख, चक्र, गदा और पद्म कमल-सी उत्फुल्ल-दृष्टि कोई भी बालक पैदा होता है तो उसकी आंखें बन्द होती हैं। खुली नहीं होती लेकिन इसके नेत्र खिले हुए कमल के समान है। नीलवर्ण, पीताम्बरधारी, वक्षरूस्थल पर श्रीवत्सचिह्न, गले में कौस्तुभमणि, वैदूर्यमणि के किरीट और कुण्डल, बाजूबंद और कमर में चमचमाती हुई करधनी। यह तो आश्चर्यों का खजाना है। ऐसा अपूर्व बालक कभी किसी ने कहीं नहीं देखा-सुना। यही भगवान का दिव्य जन्म है। वास्तव में भगवान सदा ही जन्म और मरण से रहित हैं आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन किया।
कथा वाचक ने भगवान गिरिराज जी महाराज के समक्ष सुंदर छप्पन भोग के दर्शन कराये गये। उन्होंने यह भी बताया कि जहां सत्य एवं भक्ति का समन्वय होता है, वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है। जब भगवान श्रीकृष्ण नंद गांव पहुंचे तो देखा कि गांव में इंद्र पूजन की तैयारी में 56 भोग बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि कैसा उत्सव होने जा रहा है। जिसकी इतनी भव्य तैयारी हो रही है। नंद बाबा ने कहा कि यह उत्सव इंद्र भगवान के पूजन के लिए हो रहा है, क्योंकि वर्षा के राजा इन्द्र है और उन्हीं की कृपा से बारिश हो सकती है, इसलिए उन्हें खुश करने के लिए इस पूजन का आयोजन हो रहा है। इस पर श्रीकृष्ण ने इंद्र के लिए हो रहे यज्ञ को बंद करा दिया और कहा कि जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल मिलता है। इससे इंद्र का कोई मतलब नहीं है। ऐसा होने के बाद इंद्र गुस्सा हो गए और भारी बारिश करना शुरु कर दिए।
उन्होंने कहा कि नंद गांव में इससे त्राहि-त्राहि मचने लगी तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को ही उठा लिया। नंद गांव के लोग सुरक्षति हो गए। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का क्रम शुरु हुआ। गोवर्धन भगवान की पूजा सभी भक्तों को पंडित द्वारा विधि विधान से कराई गई। इसके अलावा भगवान कृष्ण की बाल लीला, माखन चोर लीला का प्रसंग भी विस्तार पूर्वक समझाया। अन्त में आरती के पश्चात सभी को छप्पन भोग का दिव्य प्रसाद वितरित कराया गया। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरूष पहुंचे।
कार्यक्रम में मुख्य पदाधिकारी पवन गोयल, अजय गुप्ता, संदीप मित्तल, अजय गोयल, आनंद गुप्ता, अमित गोयल, नवीन मित्तल, देवेंद्र मूर्ति, रजत गोयल, अभिषेक, संदीप मित्तल, रीता गोयल, रूचि मित्तल, ममता आदि श्रद्धालु मुख्य रूप से मौजूद रहे।