डॉ. अ. कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
टूट कर भी
किसी के काम में आ जाऊंगा,
मैं पत्ता हूँ, गल गया तो
खाद बन जाऊंगा।
हो सके तो मुझको जलाना,
ईंधन के वास्ते,
किसी के काम आ सका,
ख़ुशी से जल जाऊंगा।
विद्यालक्ष्मी निकेतन, 53-महालक्ष्मी एन्क्लेव, मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश