इन्द्रधनुष

सीताराम गुर्जरशिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

इन्द्रधनुष बनता बरसात।
इसमें रंग होते हैं सात।।
वर्षा ऋतु जब आती है।
सतरंगों को लाती है।।
मेंढक भी टर टर्राते है।
बच्चों के मुख खिल जाते हैं।।
मोर मस्त हो गाता है।
हमको नाच दिखाता है।।
धूप के संग आती बरसात। 
तब दिखते हैं रंग रात।।
बूंदें पत्तों में आ जाती है
हवा पा गिर जाती हैं।।
बंद होती जब बरसातें।
बच्चों के मन खिल जाते।।
पशु चारा खाते हैं।
हरे खेत लहलहाते हैं।।
कक्षा 12, दरबार कोठी आगर (मालवा) मध्यप्रदेश

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