डॉ. अवधेश कुमार 'अवध', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बाल दिवस के नाम पर, ठगे गये सब बाल l
आजादी से आज तक, सुधर न पाया हाल ll
हाथ कटोरा टीन का, मुख पर करुण पुकार l
भारत आगे बढ़ रहा, बाल्यकाल को मार ll
मुट्ठी भर माल्या हुए, अंजलि भर सुखराम l
लालू चारा खा गये, हर्षद कर विश्राम ll
हे ईश्वर रक्षा करो, हम बालक नादान l
बड़े बड़े ही लूटते, बाल दिवस का मान ll
मजदूरों के रूप में, बच्चों का उपयोग l
खुशियाँ होटल में लुटीं, जकड़ें सौ सौ रोग ll
धूम्रपान की सूचना, तम्बाकू से हानि l
देख बालगण सोचते, बचपन हुआ विरान ll
अच्छे दिन की आस में, स्वप्न देखते लोग l
बालश्रमिक भी जोहते, भूखे छप्पन भोग ll
बचपन में जर्जर हुए, बच्चों के अरमान l
नेताजी फिर कर रहे, बालदिवस गुणगान ll
मैक्स सीमेंट, ईस्ट जयन्तिया हिल्स मेघालय