गौरव सिंघल, देवबंद। शशिनगर देवबंद में चल रही संगीतमय भागवत कथा में कथा व्यास स्वामी रविन्द्राचार्य जी महाराज ने आज भरत जी गज और ग्रह रामचरित्र अजामिल संत महाराज की कथा सुनाते हुए कहा कि मनुष्य जब सुख के संस्कार का भोगकाल भोगता है तो उसको सुख का अनुभव होता है पर यह सुख स्थाई नहीं होता, क्योंकि सुख- दुःख के संस्कार मिले-जुले होते है, सुख के संस्कार बीत जाने पर उनकी स्मृति ही दुखः का कारण बन जाती है और मनुष्य उस क्षणिक सुख को प्राप्त करने के लिये दु:ख में डूबा रहता है। इस दु:ख से बचने के लिये अपने क्षण भर के सुखों की इच्छाओं का त्याग कर भजन करना चाहिये तथा महापुरूषों के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिये ताकि सब दुखों, सब भोगो को भूलकर भगवान में समाहित हो सके।
आज कथा में पंडित रामनाथ शर्मा, पंडित संजय, पंडित रितिक, गजराज राणा, प्रवीन गोयल, राकेश राणा, अंशुल शर्मा, जोगेन्द्र सिंह, रवि चौधरी, पप्पन, राजू, गजे चौधरी, रोशन, अनूप, रोकी सहित भारी संख्या में महिला व पुरूष श्रद्धालु उपस्थित रहे।